
भोपाल : वित्त विभाग ने मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के वेतन वृद्धि के लिए सीपीआई इंडेक्स 3.87 जारी किया है। इसके अनुसार संविदा कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में 3.87 प्रतिशत का इजाफा होगा। विभाग के आदेश के अनुसार ये वेतन वृद्धि 1 अप्रैल 2024 से लागू होगी। ऐसे में पिछले महीनों की बकाया राशि एरियर के रूप में मिलेगी। फिलहाल प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों, निगम-मंडलों और अन्य उपक्रमों में 1 लाख 50 हजार से ज्यादा संविदा कर्मचारी अधिकारी काम कर रहे हैं।
वेतन में होगा इतना इजाफा
वित्त विभाग के आदेश के बाद भृत्य/चौकीदार के वेतन में 785, ड्राइवर के वेतन में 987, लिपिक के वेतन में 987, डाटा एंट्री ऑपरेटर के वेतन में 1188, सहायक वार्डन के वेतन में 1281, मोबाईल स्रोत सलाहकार के वेतन में 1281, लेखापाल के वेतन में 1281, एमआईएस कॉर्डिनेटर के वेतन में 1660, स्टेनोग्राफर के वेतन में 1425, ड्राफ्ट्समैन के वेतन में 1660, उपयंत्री के वेतन में 1660, बीआरसी के वेतन में 1670, एपीसी जेंडर के वेतन में 1670, एपीसी आईडी के वेतन में 1660, व्याख्याता के वेतन में 1830, प्रोग्रामर के वेतन में 2160, सहायक परियोजना वित्त के वेतन में 2160, सहायक यंत्री के वेतन में 2169 और सहायक प्रबंधक के वेतन में 2535 रूपए का इजाफा होगा।
संविदा संगठनों ने जताई नाराजगी
संव्दा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि भारत सरकार ने वेतन में वृद्धि के लिए 5.39 सीपीआई इंडेक्स जारी किया है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा या तो केंद्र द्वारा तय इंडेक्स के अनुसार वेतन वृद्धि की जाए या फिर नियमित कर्मचारियों की भांति महंगाई भत्ता दिया जाए।
पिछले साल लागू हुई थी नई संविदा नीति
मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 जुलाई 2023 को मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों, निगम मंडलों, स्वशासी संस्थानों में संविदा पर कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक संविदा नीति जारी की थी। इस नीति के तहत हर साल 1 अप्रैल को संविदा कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में वृद्धि की जाएगी, लेकिन इस साल 3 महीने बीत जाने के बाद भी जब वेतन वृद्धि नहीं हुई तो संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद वित्त विभाग ने 3.87 सीपीआई इंडेक्स के तहत आदेश जारी कर दिए। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के मुताबिक भारत सरकार ने पूरे देश के लिए सीपीआई इंडेक्स 5.39 जारी किया है, जबकि एमपी में इसे घटाकर 3.87 कर दिया गया। संघ ने मांग उठाई है कि अगर महंगाई भत्ता देने में सरकार सक्षम न हो तो केंद्र की तय दर के अनुसार ही 5.39 सीपीआई इंडेक्स लागू किया जाए। राठौर का कहना है कि सीपीआई इंडेक्स कल-कारखानों मे काम करने वाले मजदूरों के लिए होता है, न कि सरकार के संविदा कर्मचारियों के लिए।