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आध्यात्मिक शक्ति भारत की सबसे बड़ी ताकत, यह लोगों की भावना से जुड़ी है

मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ के धर्म-संवाद में बोले पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति आध्यात्मिक शक्ति है, जो समाज के लोगों को जोड़ती है। मंदिर का पुजारी समाज का सेवक होता है और वही समाज की मूल भावना आध्यामिकता की ओर लोगों को जोड़ने का काम करता है। नाथ मप्र कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित धर्म-संवाद, मंदिर पुजारी स्वायत्तता संकल्प दिवस कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में मौजूद पुजारियों से नाथ ने कहा कि आप सब को देश की आध्यात्मिक शक्ति को और अधिक मजबूत बनाना होगा। आध्यात्मिक कार्यों से भारत की नींव जुड़ी हुई है।

क्या भगवा का ठेका भाजपा ने ही ले रखा है?

पत्रकारों ने जब कमलनाथ से पूछा कि कांग्रेस भी भगवा की बात कर रही है तो नाथ ने कहा क्या भगवा का ट्रेडमार्क भाजपा का है, उन्होंने ठेका लिया हुआ है? उन्होंने कहा हम मंदिर जाते हैं तो इनके पेट में दर्द क्यों होता है? इनका धर्म का ठेका या सोल सेलिंग एजेंसी तो नहीं है? नाथ ने कहा कि भाजपा केवल धर्म का उपयोग राजनीति और दिखावे के लिए करती है।

महाकाल कॉरिडोर निर्माण की पहल का दावा

अपनी 15 महीने की सरकार के कार्यों का उल्लेख करते हुए नाथ ने कहा कि हमने मंदिरों, मठों के उत्थान की योजनाएं प्रारंभ की, महाकाल कॉरिडोर का निर्माण कराने की पहल की। राम वन गमन पथ के लिए योजना बनाई, राशि स्वीकृत की, पुजारियों को सम्मान दिया। पूर्व धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार के समय हमने मंदिरों, मठों के लिए कई योजनाएं बनाईं थीं, जिन पर अमल भी हुआ। मदिरों के पुजारियों का मानदेय बढ़ाया, उन्हें अन्य अधिकार दिए।

मप्र कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शिव नारायण शर्मा ने अपने प्रकोष्ठ की ओर से एक ज्ञापन कमलनाथ को सौंपा। इसमें मंदिरों से कलेक्टरों का नाम हटाये जाने, पुजारियों को व्यवस्थापक बनाए जाने, वंश परंपरा से नियुक्ति आदि की मांग की।

पुजारियों ने बताईं समस्याएं

पुजारियों को कर्मचारी बना दिया है। हमारे बाप-दादा मंदिर की जमीनों पर खेती करते आए लेकिन अब कलेक्टरों को मालिक बना दिया। मंदिर की जमीन अगर शासकीय योजना में चली जाए तो भी कोई लाभ नहीं दिया जाता। -दिनेश बैरागी, कंपेल

छोटे मंदिरों में कोई आय नहीं है। चढ़ावा ज्यादा नहीं आता। मानदेय दो-दो साल से नहीं मिला है। अन्य समाज के दबंग लोग मंदिर की जमीनों पर कब्जा कर लेते हैं। जमीनें बेच दी जाती है, प्रशासन ध्यान नहीं देता। -प्रेमदास पुजारी, बड़ी खुड़ेल

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