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Shraddha Murder Case : आफताब का नार्को टेस्ट होगा, कोर्ट ने 5 दिनों की पुलिस रिमांड में भेजा

श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेशी हुई। कोर्ट ने आफताब की पुलिस कस्टडी 5 दिन बढ़ा दी है। कोर्ट ने आरोपी आफताब के नार्को टेस्ट की इजाजत दे दी है। बताया जा रहा है कि आफताब ने भी इस टेस्ट के लिए अपनी सहमति जताई है। पुलिस ने कोर्ट में आरोपी को हिमाचल की पार्वती घाटी और दिल्ली के वन क्षेत्रों में ले जाकर सीन रीक्रिएट करने की बात कही।

वकीलों ने किया प्रदर्शन, कहा- आफताब को फांसी दो

साकेत कोर्ट के बाहर वकीलों ने प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी भी की। वकीलों की मांग थी कि श्रद्धा के कातिल आफताब अमीन पूनावाला को फांसी की सजा दी जानी चाहिए। वकीलों के प्रदर्शन के कारण कोर्ट परिसर में काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही।

आफताब और श्रद्धा मुंबई छोड़ दिल्ली में हुए शिफ्ट

श्रद्धा के पिता विकास मदान वाकर ने बताया कि विरोध करने पर बेटी और आफताब ने अचानक मुंबई को छोड़ दिया था। बाद में पता चला कि वह महरौली के छतरपुर इलाके में रहते हैं। उन्होंने बताया कि किसी न किसी माध्यम से बेटी की जानकारी मिलती रहती थी। लेकिन, मई के बाद से उसके बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं लग पा रहा था। उसके फोन नंबर पर भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह भी नहीं मिला।

फिर अनहोनी की आशंका होने पर वह 8 नवंबर को सीधे छतरपुर स्थित फ्लैट में गए जहां बेटी किराए पर रहती थी। वहां पर ताला बंद होने के बाद विकास ने महरौली थाने में पहुंचकर पुलिस को अपहरण की सूचना दी और एफआईआर दर्ज कराई।

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लाश को ठिकाने कैसे लगाया ?

पुलिस के मुताबिक आफताब ने शव के टुकड़े करने के लिए आरी का इस्तेमाल किया। उसने पहले उसके हाथों के तीन टुकड़े किए। इसके बाद पैर के भी तीन टुकड़े किए। इसके बाद रोज वह बैग में रखकर इन्हें फेंकने के लिए ले जाता। हत्या के बाद 300 लीटर का फ्रिज खरीदा, ताकि टुकड़े उसमें रख सके। अगरबत्ती जलाता था, ताकि बदबू को दबाया जा सके।

वेब सीरीज से था प्रेरित

आरोपी ने पुलिस के सामने कबूल किया है कि उसी ने श्रद्धा की हत्या की है। कॉल सेंटर में काम करने से पहले आफताब शेफ की नौकरी करता था। आफताब डेक्सटर नाम की वेब सीरीज से प्रेरित था। आफताब को उसी वेब सीरीज से बॉडी डिस्पोज करने का आइडिया आया था।

दिल्ली पुलिस ने किया सनसनीखेज खुलासा

दिल्ली पुलिस ने महरौली थाना इलाके में करीब छह महीने पहले हुई एक हत्या के मामले में सनसनीखेज खुलासा किया है। प्रेमी आफताब अमीन पूनावाला ने लिव इन पार्टनर और प्रेमिका श्रद्धा (26 वर्षीय) की हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए। उसने इन टुकड़ों को फ्रिज में रखा और 18 दिन तक तड़के उठकर वह उनको ठिकाने लगाते रहा।

दिल्ली पुलिस टेक्निकल सर्विलांस की मदद से आफताब की तलाश में जुट गई। पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर आफताब को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आफताब ने बताया कि श्रद्धा उसपर लगातार शादी का दबाव बना रही थी। जिसको लेकर उनके बीच में अक्सर झगड़ा होना शुरू हो गया। इसके बाद उसने मई में बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। आफताब ने श्रद्धा के शव के टुकड़े कर महरौली के जंगलों में फेंक दिया।

क्या है नार्को टेस्ट ?

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन (National Library of Medicine) के मुताबिक नार्को टेस्ट में व्यक्ति के शरीर में सोडियम पेंटोथल (sodium pentothal) के इंजेक्शन दिए जाते हैं। इस इंजेक्शन को ट्रूथ ड्रग (Truth Drug) यानी सच बोलने वाली दवा भी कहा जाता है। ये व्यक्ति की चेतना को काफी कम कर देता है, ऐसे में व्यक्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह आंख खोलकर सो रहा हो। हालांकि, वह हर बात का जवाब खुलकर देता है। इस दौरान व्यक्ति बिना दिमाग लगाए चीजों को साफ-साफ बोलता है क्योंकि उस दौरान चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की शक्ति दिमाग में नहीं रहती।

कैसे होता है नार्को टेस्ट ?

जघन्य अपराधों के मामले में पुलिस के अनुरोध पर कोर्ट इस टेस्ट की इजाजत दे सकता है। हालांकि, टेस्ट से पहले डॉक्टर्स ये देखते हैं कि व्यक्ति मेडिकली फिट है या नहीं। इसके बाद उसके शरीर के मुताबिक हिप्नोटिक ड्रग सोडियम पेंटोथल (sodium pentothal) के इंजेक्शन तैयार किए जाते हैं। ड्रग्स की मात्रा तय करने में बहुत ज्यादा ध्यान रखा जाता है क्योंकि इसमें जरा भी अधिक मात्रा व्यक्ति की जान ले सकती है या वह कोमा में जा सकता है। टेस्ट के दौरान डॉक्टर्स, पुलिस और विश्लेषक मौजूद होते हैं, जो हर जवाब, हरकत और आंकड़ों पर नजर रखते हैं।

कब मांगी जाती है नार्को टेस्ट की इजाजत ?

आमतौर पर जघन्य अपराधों के मामले में और ऐसे मामलों में नार्को टेस्ट की इजाजत मांगी जाती है, जब किसी बड़ी घटना से जुड़ा आरोपी या घटना से जुड़ा कोई अहम व्यक्ति तथ्यों को छिपाने की कोशिश करे, बयान से मुकरे या तोड़-मरोड़कर पेश करे। इसी वजह से ऐसे मामलों में सच का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। नार्को टेस्ट का सबसे अहम पहलू है ब्रेन मैपिंग, अगर टेस्ट के दौरान किसी सवाल पर व्यक्ति कहानी बनाने की कोशिश करता है, तो उसका भी पता चल जाता है। ऐसे में झूठ बोलने की गुंजाइश खत्म हो जाती है।

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