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Monkeypox: दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और संदिग्ध केस मिला, ट्रैवल हिस्ट्री के साथ लक्षण भी; देश में अब तक 4 मरीज

दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मरीज मिला है। मरीज को लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मरीज के सैंपल को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेज दिया गया है। देश में अभी तक मंकीपॉक्स के 4 केस मिल चुके हैं। इनमें से 3 केरल और 1 दिल्ली में मिला है।

संदिग्ध मरीज में दिखे ये लक्षण

बताया जा रहा है कि व्यक्ति की त्वचा पर चकत्ते और तेज बुखार जैसे वायरस के लक्षण मिले हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संदिग्ध मरीज विदेश की यात्रा करके लौटा है। वहीं मंकीपॉक्स के केस आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया है।

तेलंगाना में भी मिला संदिग्ध मरीज

वहीं, तेलंगाना में मिले संदिग्ध मरीज ने हाल में कुवैत की यात्रा की थी। 20 जुलाई को उसने बुखार की शिकायत की थी और उसके शरीर पर चकत्ते पड़ गए थे। इसके बाद उसे कामारेड्डी जिले के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुणे से उसके सैंपल का रिजल्ट आना बाकी है।

दिल्ली में एक केस की पुष्टि

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में इससे पहले 31 वर्षीय जो शख्स मंकीपॉक्स को लेकर भर्ती हुआ था, उसने विदेश यात्रा नहीं की थी, लेकिन घरेलू यात्रा जरूर की थी। उसकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के मंकीपॉक्स से संक्रमित पहले मरीज के संपर्क में आए एक व्यक्ति ने शरीर में दर्द की शिकायत की है। हालांकि, अभी वह भी निगरानी में है।

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केरल में मिले तीन मरीज

    • केरल में आए तीनों मामलों का कनेक्शन विदेशों से जुड़ा हुआ है।
    • केरल में 14 जुलाई को मिला पहला मरीज दूसरे देश (यूएई) से भारत आया था। तेज बुखार और शरीर में तेज दर्द की शिकायत थी। इसके साथ ही शरीर पर छाले थे।
    • केरल में 18 जुलाई को मिला दूसरा मरीज भी दूसरे देश (दुबई) से भारत आया था। मरीज दो महीने पहले ही भारत लौट गया था, लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षण उसमें बाद में देखने को मिले।
    • केरल में 22 जुलाई को मिला तीसरा मरीज 6 जुलाई को यूएई से लौटा था। 13 जुलाई को उसमें लक्षण दिखाई देने पर जांच की गई थी।

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क्या है मंकीपॉक्स?

    • मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
    • अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे।
    • दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।
    • मंकीपॉक्स को लेकर इंग्लैंड की एजेंसी यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने कहा है कि अब मंकीपॉक्स का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने लगा है।

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क्या हैं इसके लक्षण?

  • मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
  • मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
  • मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
  • बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।

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