धर्म

रुद्राक्ष का सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं, आध्यात्म के साथ विज्ञान की कसौटी पर भी उतरा है खरा

न्यूसी समैया, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्राचार्य

आजकल हर तरफ रुद्राक्ष की चर्चा है। देश के कोने-कोने से लोग इसे लेने सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में जुटे हैं। भगदड़ और बच्चे समेत 3 लोगों की मौत के बाद इसका वितरण बंद हो गया, लेकिन हर तरफ यह चर्चा है कि आखिर रुद्राक्ष के लिए इतनी भीड़ क्यों? आइए जानते हैं कि आखिर इसे अनादि काल से ही इतना महत्व क्यों दिया जाता रहा है। इसके पौराणिक महत्व के साथ इसका वैज्ञानिक महत्व क्या है?

रुद्राक्ष के विषय में प्रचलित है कि इसमें साक्षात भगवान शिव का वास होता और इसे धारण करने पर भोलेनाथ की असीम कृपा बनी रहती है। प्राचीन ग्रंथों में इसे चमत्कारिक और दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत माना गया है। प्रचीन ऋषि मुनि भी प्रायः रुद्राक्ष की माला से जप करते थे। रुद्राक्ष शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से मिलकर हुई है। रुद्र और अक्ष, जिसमें रुद्र का अर्थ है भगवान शिव और अक्ष अर्थात उनकी आंख या अश्रु अर्थात रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी गई है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार दानवेंद्र मय और त्रिपुरासुरों का नाश करने के बाद भगवान शिव समस्त देवताओं के साथ हिमालय के शिखर पर विश्राम करने पहुंचे और वहां हर्षित होकर अत्यधिक प्रसन्नता से उनकी आंखों से आंसुओं की चार बूंदें टपक पड़ीं। इन्हीं 4 अश्रु बिंदु से रुद्राक्ष के पौधे की उत्पत्ति हुई। वैसे रुद्राक्ष के अनेक प्रकार होते हैं। परंतु एक मुखी से 14 मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष प्रमुख माने गए हैं।

वैज्ञानिक महत्व

अब हम बात करेंगे इसके वैज्ञानिक महत्व की। रुद्राक्ष का वानस्पतिक नाम इलियोकारपस गैनिस्ट्रस है। इसके वृक्ष पूर्वी हिमालय(भारत) नेपाल इंडोनेशिया जकार्ता और जावा में पाए जाते हैं। विश्व में इसके सर्वाधिक पौधे इंडोनेशिया में होते हैं। रुद्राक्ष का जैव रासायनिक या बायो केमिकल विश्लेषण करें तो इसमें कोबाल्ट, जस्ता, निकल, लोहा, मैग्नीज, फास्फोरस, एल्यूमीनियम, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, सिलिकॉन एवं गंधक के तत्व मौजूद रहते हैं। इससे इनका घनत्व बढ़ जाता है और यह पानी में डूब जाता है। कहा जाता है, यही इसके अच्छी क्वालिटी के होने की पहचान है। इसके अलावा इसे दो तांबे के सिक्कों के बीच में रखने पर इसमें कंपन होता है, जो कि विद्युत चुंबकीय गुण तथा डायनेमिक पैरेललिटी के कारण होता है।

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इन रोगों में प्रभावी है रुद्राक्ष

आयुर्वेद में इसे महाऔषधि माना गया है, जिसकी प्रकृति ऊष्ण और अम्लीय होती है। यह वात और कफ से जनित रोगों का शमन करता है। इसके अलावा इससे ब्लडप्रेशर, हार्टबीट, घबराहट, कोलेस्ट्रॉल आदि अनेक रोगों का नियंत्रण होता है। इसकी औषधीय क्षमता विद्युत चुंबकीय (electo magnatic) प्रभाव से पैदा होती है, जिसके कंपन की आवृत्ति स्पंदन से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। जनरल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस में वर्ष 2022 में प्रकाशित एक शोध पत्र में पाया गया है कि रुद्राक्ष चूर्ण के कैप्सूल लेने पर हाई ब्लडप्रेशर, सिर दर्द, थकान और अवसाह में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।

रुद्राक्ष थेरेपी पर छपे कई लेख

सेंट्रल काउंसिल ऑफ आयुर्वेद रिसर्च नई दिल्ली में 1966 में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ था, जिसमें रुद्राक्ष थेरेपी की चर्चा की गई थी। इसके अलावा 80 के दशक में बनारस के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने डॉक्टर एस राय के नेतृत्व में रुद्राक्ष पर अध्ययन कर इसके विद्युत चुंबकीय व औषधीय गुणों को सही पाया था।

इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉ डेविड ली ने अपनी रिसर्च में पाया था कि रुद्राक्ष विद्युत ऊर्जा के आवेश को अपने आप में संचित रखता है, जिससे इसमें चुंबकीय गुण उत्पन्न होते हैं। इसे डाय इलेक्ट्रॉनिक प्रॉपर्टी कहते हैं। इसकी प्रकृति इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पैरा मैग्नेटिक है। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. एसके भट्टाचार्य ने 1975 में रुद्राक्ष के कीमो फार्मोकोलॉजिकल विशेषताओं के कारण इसे ह्रदय रोग रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण रखने वाला माना है और यह स्नायु तंत्र पर भी प्रभाव डालता है।

एक्यूप्रेशर का काम करता है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष एक्यूप्रेशर का कार्य करता है। जब हम इसे पहनते हैं तो इसके उठे हुए भाग हमारे शरीर को उचित दबाव देते हैं, जिससे यह विभिन्न रोगों पर कार्य करता है। अतः अब हम ये समझ सकते हैं कि प्राचीन काल से अभी तक रुद्राक्ष न केवल पौराणिक बल्कि अपने औषधीय गुणों के कारण भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

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(न्यूसी समैया ने इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोलॉजी (भारतीय विद्या भवन) नई दिल्ली से ज्योतिष अलंकार की डिग्री ली है। ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ, ज्योतिष शिरोमणि सम्मान से पुरस्कृत न्यूसी 25 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। वह स्कूल ऑफ एस्ट्रोलॉजी की डायरेक्टर भी हैं।)
मोबाइल नंबर 7470664025

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