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People’s Knowledge: कौन थे ये ‘घाघ और भड्डरी’ जिनकी मौसम को लेकर भविष्यवाणियां सटीक बैठती थीं?

भारतीय कहावतें: मानसून,खेती-किसानी और स्वास्थ्य से जुड़ीं भविष्यवाणी करने में माहिर थे घाघ और भड्डरी

भोपाल। आपने कहावतों में घाघ और भड्डरी का नाम तो सुना ही होगा? घाघ खेती, नीति और स्वास्थ्य से जुड़ी कहावतों, जबकि भड्डरी वर्षा, ज्योतिष और आचार-विचार की कहावतों के लिए प्रसिद्ध हैं। दोनों ही बहुत बुद्धिमान, नीतिज्ञ, कुशल और भविष्य का ज्ञान रखने वाले थे। शायद इन्हीं के नाम के कारण नीति निपुण, चालाक और गहरी सूझबूझ रखने वालों को घाघ कह दिया जाता है। अकबर के समकालीन होने के कारण इनका समय सोलहवीं सदी के मध्य का माना जाता है। आइए जानते हैं आखिर ये घाघ-भड्डरी कौन थे?

कौन थे घाघ, जानिए 500 साल पुरानी भविष्यवाणियां

घाघ की लिखी कोई किताब मौजूद नहीं है। घाघ की कहावतें गांवों में आज भी खूब सुनी-कहीं जाती हैं। घाघ यानि देवकली दुबे का जन्म बिहार के छपरा में हुआ था। भड्डरी का क्षेत्र काशी के आसपास माना जाता है। कई कहावतों में भी-‘घाघ कहै सुनु भड्डरी’ शब्द का उल्लेख मिलता है।

ज्योतिष का प्रचार और इनकी भविष्यवाणियां

घाघ और भड्डरी की कहावतें और भविष्यवाणियां 500 सालों से आज भी अपना प्रभाव रखे हुए हैं। हालांकि इनका कोई लिखित इतिहास नहीं है, फिर भी लोकोक्तियों और कहावतों के रूप में ये जनजन की वाणी के रूप में प्रचलित हैं। इन्हें भविष्यवाणियों का जनक कहते हैं। घाघ यानि देवकली दुबे छपरा से कन्नौज के चौधरी सराय चले आए थे। इनकी प्रतिभा से सम्राट अकबर बहुत प्रभावित थे। अकबर ने इन्हें चौधरी की उपाधि के साथ धन और जमीन दी। इन्होंने, जो गांव बसाया, उसका नाम अकबराबाद सराय घाघ पड़ा। यह कन्नौज से एक मील दक्षिण में है। अकबर के समकालीन होने के कारण इनका समय सोलहवीं सदी के मध्य का माना जाता है। बचपन से ही घाघ में कृषि संबंधी समस्याओं को सुलझाने की विलक्षण प्रतिभा थी। दूर-दूर से लोग इनके पास अपनी समस्या का समाधान पाने आया करते थे। घाघ ने भारतीय कृषि को व्यावहारिक दृष्टि दी।

कौन थे भड्डरी?

भड्डरी का क्षेत्र काशी के आसपास माना जाता है। मारवाड़ में भी एक भड्डरी हुए हैं। एक भड्डरी नाम की ज्योतिषी स्त्री भी हुई हैं, लेकिन दोनों ही इनसे अलग हैं। दोनों की भाषा में भी अंतर है। भड्डरी की भाषा में भोजपुरी और अवधी शब्दों की बहुतायत है। इसका प्रचलन भी बिहार और उत्तरप्रदेश में है। घाघ की तरह ही लोकजीवन से संबंधित इनकी कहावतें अत्यंत प्रासंगिक, वैज्ञानिकता से भरी और उपयोगी हैं।

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