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इंडस्ट्रियल वेस्ट से गमलों में खिलाए गुलाब के फूल

जबलपुर के इलेक्ट्रिशियन ने इंडस्ट्रियल इलाके में किया सफल प्रयोग

नरेन्द्र सिंह, जबलपुर। अधारताल इंडस्ट्रियल इलाके में रहने वाले सुधीर साहनी ने यहां के औद्योगिक कचरे को गमले में भरकर उसमें फूल खिला दिए। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सुधीर साहनी ने जो प्रयोग किया है यदि उसमें थोड़ा सा और वैज्ञानिक सुधार हो जाए तो औद्योगिक कचरा बंजर जमीनों को उपजाऊ बन सकता है। गौरतलब है कि अधारताल इंडस्ट्रियल एरिया में कई उद्योगों में पत्थर के कोयले का इस्तेमाल होता है। पत्थर का कोयला जलने के बाद पूरी तरह राख में परिवर्तित नहीं होता, बल्कि इसमें बारीक पत्थर रह जाते हैं। इसी कोयले की राख का उपयोग उन्होंने गुलाब उगाने में किया।

जड़ें फैलने में मिली ऑक्सीजन

सुधीर ने अपना एक गमला भी खोलकर दिखाया, जिसमें गुलाब का एक सुंदर पेड़ लगा हुआ था। जब इसके अंदर जड़ों की ग्रोथ देखी गई तो देखने पर स्पष्ट हो गया की जड़ों ने उन बारीक बारीक पत्थरों को पकड़ लिया था और यह पूरा मीडियम पोरस था, इसलिए जड़ों को फैलने में ऑक्सीजन भी मिली और जगह भी मिली इसलिए जड़ों की ग्रोथ बहुत अच्छी थी।

कई फसलें उग सकती हैं

कृषि वैज्ञानिक शेखर सिंह बघेल ने बताया कि मिट्टी में कई बार पानी की अधिकता होने से जड़ों में गलन रोग जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं, लेकिन यह मीडियम पोरस है और इसमें पानी रुकता नहीं है। केवल नमी बनी रहती है इसलिए जड़ों के भीतर रोग होने की संभावना घट जाती है। बघेल का कहना है कि यह बहुत नया तरीका है और यदि कोई इसमें कोशिश करें तो इस मीडियम में कई फसलों को उगाया जा सकता है।

गमले में कोयला भरकर उगाए गुलाब

सुधीर गुलाब लगाने के शौकीन हैं, और घर पर गमले में ही गुलाब उगाते हैं। उन्होंने सोचा कि क्यों न एक बार पत्थर के इस कोयले को ही गमले में भरकर इसमें गुलाब लगाकर देखा जाए। जब सुधीर ने यह प्रयोग किया तो उनका यह प्रयोग सफल रहा। हालांकि इसमें सुधीर को गुलाब के पौधों को देने के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना पड़ा। लेकिन सामान्य मिट्टी में जिन पौधों की ग्रोथ 6 महीने में बेहतर हो पाती थी वह रिजल्ट सुधीर को मात्र 3 महीने में ही इस नए मीडियम में मिली। सुधीर ने इस मीडियम का नाम सिडंर मीडियम रखा है।

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