
झाबुआ/अलीराजपुर। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आदिवासी लोक संस्कृति के पर्व भगोरिया उत्सव की धूमधाम से शुरुआत हो चुकी है। यह उत्सव 7 मार्च तक चलेगा। इस पर्व को लेकर झाबुआ और अलीराजपुर जिले के अदिवासियों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
मांदलों की थाप पर जमकर थिरके युवा
भगोरिया हाट का बुधवार को पहला दिन था। परंपरागत परिधान के स्थान पर आधुनिक परिधानों में युवक-युवतियां नजर आई। दिनभर युवक-युवतियां, छोटे-बड़े सभी रंग-बिरंगे परिधानों में सज कर झूले चकरी तथा व्यंजन, ठंडाई पान बीड़ा का लुत्फ उठाते रहे। कोई खाने-पीने में व्यस्त था तो कोई मोबाइल फोन से सेल्फी लेने में। इस दौरान बांसुरी की धुन और ढोल-मांदल की थाप पर बड़े बुजुर्ग एवं युवा जमकर थिरके। मेले में खाने-पीने की सामग्री के साथ ही खेल खिलौने की जमकर बिक्री हुई।
लोगों को पूरे साल रहता है इंतजार
होली के 7 दिन पहले मनाए जाने वाले इस उत्सव का आदिवासी समाज के लोगों को पूरे साल इंतजार रहता है। इन 7 दिनों तक आदिवासी समाज के लोग खुलकर अपनी जिंदगी जीते हैं। यह भी कहा जाता है कि देश के किसी भी कोने में काम के लिए गए आदिवासी समाज के लोग भगोरिया पर्व पर अपने गांव लौट आते हैं। हर दिन परिवार के साथ भगोरिया मेले में जाते हैं। भगोरिया मेलों में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसलिए भगोरिया को उल्लास का पर्व भी कहा जाता है।
इसलिए नाम पड़ा भगोरिया
पौराणिक कथाओं के अनुसार, झाबुआ जिले के ग्राम भगोर में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि इस स्थान पर भृगु ऋषि ने तपस्या की थी। कहते हैं कि हजारों सालों से आदिवासी समाज के लोग भव यानी शिव और गौरी की पूजा करते आ रहे हैं। इसी से भगोरिया शब्द की उत्पत्ति हुई है। किसी समय इस मंदिर में पहले भगवान शिव- पार्वती की पूजा की जाती थी और इसके बाद ही भगोरिया पर्व शुरू होता था।
क्या है भगोरिया मेले की परंपरा ?
मान्यता के अनुसार, भगोरिया मेले की शुरुआत दो भील राजाओं कसुमार और बालुन के समय से मानी जाती है, जिसमें इन दोनों राजाओं ने मिलकर अपनी राजधानी भगोरा में एक मेले का आयोजन किया था। इसके बाद अन्य राजा लगातार इस मेले का आयोजन करने आए और आज यह एक रिवाज बन गया है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भील समाज में लड़के पक्ष को शादी के लिए लड़कियों को दहेज देना पड़ता था और इससे बचने के लिए भगोरिया मेले का आयोजन शुरू किया गया, जिसमें लड़के-लड़कियों की बिना पैसे के शादी कर दी जाती है।