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कोलार सिक्स लेन: धूल ने बढ़ाई मुसीबत, एनजीटी ने विभागों से किया जवाब-तलब

लेटर पिटीशन पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की, 6 हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

भोपाल। कोलार रेस्ट हाउस से गोल जोड़ तक 15 किमी लंबी सिक्स लेन रोड निर्माण में बरती जा रही लापरवाही से बढ़ते वायू प्रदूषण पर एनजीटी ने जिम्मेदार विभागों से जवाब तलब किया है। इस मामले को लेकर एन्वॉयर्नमेंट एक्टीविस्ट नितिन सक्सेना ने 26 अक्टूबर को एनजीटी में लेटर पिटीशन दायर की थी। इस पर संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को एनजीटी ने सुनवाई की। एनजीटी ने याचिकाकर्ता को सभी साक्ष्यों सहित पक्ष रखने को कहा था। सक्सेना ने सुनवाई के दौरान बताया कि कोलार सिक्सलेन निर्माण के दौरान निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी द्वारा लापरवाही बरती जा रही है।

कोलार रेस्ट हाउस से गोल जोड़ तक 15 किमी तक सड़क के दोनों तरफ बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ के साथ खुदाई की गई है। महीनों से यहां मिट्टी के ढेर लगे हैं। बारिश में कीचड़ परेशानी थी, अब धूल इतनी अधिक है कि यहां एक्यूआई खतरनाक स्तर से भी ज्यादा पहुंच चुका है। इसके चलते लोग फेफड़ों और सांस संबंधी बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। सक्सेना ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल कार्यालय में लगे प्रदूषण रेटिंग मॉनिटर की तस्वीरें भी पेश कीं, जिसमें शनिवार का एक्यूआई लेवर 267 था। इस पर एनजीटी ने मप्र सरकार सहित कलेक्टर भोपाल, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में रिपोर्ट तलब की है। अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।

क्या है लेटर पिटीशन

एनजीटी में आम पिटीशन वकील के मार्फत लगाई जाती है। पिटीशन के लिए निर्धारित शुल्क भी जमा कराना होता है। लेकिन लेटर पिटीशन (पत्र याचिका) कोई भी नागरिक एनजीटी में दायर कर सकता है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगता है और याचिकाकर्ता को वकील की जरूरत नहीं होती। वह अपना पक्ष खुद रख सकता है।

हवा में धूल के कणों की मौजूदगी श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाती है। इससे आंखों में खुजली और जलन, नाक में सूखापन , गले में खराश, खांसी, दमा या सांस लेने में परेशानी होती है। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस फेफड़े के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाते हैं। लगातार धूल के संपर्क में रहने से धूल के कण ब्लड में पहुंचने लगते हैं, जिससे किडनी के डैमेज होने का खतरा होता है। -डॉ.पराग शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, जीएमसी

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