देहरादून। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट शनिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया। अब शीतकाल में भगवान बदरी विशाल की पूजा जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में होगी। गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बदरीनाथ धाम के कपाट के बंद होने की प्रक्रिया मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर संपन्न की गई।
मंदिर को फूलों से सजाया
कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया। सिंह द्वार परिसर में गढ़वाल स्काट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था। जय बदरीविशाल के उद्घोष गूंज रहे थे। इस अवसर पर साढ़े पांच हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस मौके पर दानदाताओं और भारतीय सेना द्वारा तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किए गए।
#WATCH | Uttarakhand: Portals of Badrinath temple closed for the winter break today. pic.twitter.com/02afpH50x3
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 18, 2023
48 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि इस वर्ष की यात्रा ऐतिहासिक रही है। इस बार बदरीनाथ और केदारनाथ में सबसे अधिक 48 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि शुक्रवार देर रात तक बदरीनाथ में 18 लाख 36 हजार 519 तीर्थयात्रियों की आमद दर्ज की गई, जो पिछले सभी यात्रा वर्षों में सबसे अधिक है।
चारों धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया। अन्य तीनों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही बंद हो चुके हैं। सर्दियों में भारी बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारों धाम के कपाट को हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है और अगले वर्ष अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं। करीब 6 माह चलने वाली चारधाम यात्रा को प्रदेश की आर्थिकी की रीढ माना जाता है।
इस साल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने की पूजा-अर्चना
उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव बृजेश सती ने कहा कि आजादी मिलने के 76 साल के इतिहास में इस साल पहली बार ऐसा हुआ है कि देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने बदरीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस साल नवंबर में जबकि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अक्टूबर में भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए थे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं 247 सालों के बाद इसी वर्ष यह सुअवसर भी आया जब उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने के अवसर पर उपस्थित रहे।
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