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पेसा एक्ट का उल्लंघन कर रेत खनन प्रकिया को चुनौती

हाईकोर्ट ने शासन व मंडला कलेक्टर से मांगा जवाब, पेसा एक्ट के उल्लंघन का बताया जा रहा पहला मामला

जबलपुर। हाईकोर्ट में पेसा एक्ट कानून का उल्लंघन कर रेत खनन प्रकिया अपनाए जाने को चुनौती दी गई है। संभवत: प्रदेश में पेसा एक्ट कानून उल्लंघन का यह पहला मामला है। कोर्ट ने मामले में अनावेदक मप्र शासन व मंडला कलेक्टर को नोटिस जारी किए है। युगलपीठ ने चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए है। यह जनहित का मामला अति पिछड़ा वर्ग उत्थान समिति के अध्यक्ष संजय सेन ने दायर किया है। इसमें आरोप है कि भारत के संविधान की अनुसूची पाँच में मंडला जिला ट्रायबल क्षेत्र अधिसूचित है। उक्त जिले में मप्र रेत खनन परिवहन भंडारण एवं व्यापार नियम 2019 के तहत अनुज्ञप्ति के लिए निविदा आमंत्रित करके पेसा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायतों की अनुशंसा के बिना ही रेत खनन के लिए अनुज्ञप्तियां जारी की गई। जबकि देश की संसद ने पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 की धारा 4 के तहत आधिसूचित ट्रायबल क्षेत्र में किसी भी प्रकार के खनिज के उत्खनन पूर्व संबंधित ग्राम पंचायतों की अनुशंसा अति आवश्यक रूप से लिया जाना आवश्यक किया है। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के नियम 21(2) में स्पष्ट प्रावधान है, की अनुज्ञप्ति के लिए प्रथम वरीयता तथा प्राथमिकता अधिसूचित क्षेत्रों की जंनजातियों को दिया जाना आवश्यक है।

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई उक्त समस्त नियमों को दरकिनार करते हुए मप्र शासन तथा मंडला कलेक्टर ने अधिसूचित ट्रायवल मंडला जिला की समस्त रेत खदानों को रेत के बड़े ठेकेदारो-कंपनियां व माफियाओं को अनुज्ञाप्तिया जारी कर दी, जो नियम विरूद्ध है। मामले की सुनवाई दौरान शासन की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई कि मामले में संबंधित ठेकेदारों को पक्षकार नहीं बनाया गया है। जिसे न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कानून के विरुद्ध अपनाई गई प्रक्रिया में लाभ प्राप्त करने पक्ष-अनुज्ञप्ति धारियों को पक्षकार बनाया जाना आवश्यक नही है।

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