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मप्र की 10 हजार साल पुरानी रॉक पेंटिंग्स में भी मौजूद हैं राम

रायसेन के राम छज्जा की चट्टानों पर भगवान राम के वनवास और असुरों से युद्ध के हैं दृश्य

राजीव सोनी, भोपाल। मप्र के चित्रकूट में भगवान राम के वनवास काल से जुड़े प्रसंगों का उल्लेख जगजाहिर है। लेकिन रायसेन जिले के राम छज्जा में मौजूद करीब 10 हजार साल पुराने शैलचित्रों (रॉक पेंटिंग) में भी भगवान राम से जुड़ी कथाओं और प्रसंगों का दृश्यांकन मौजूद है। हजारों साल पहले आदिमानव ने रामछज्जा की चट्टानों पर जो चित्र उकेरे थे क्षेत्रीय लोग उन्हें सदियों से भगवान राम के वनवास काल और राम-रावण युद्ध से जोड़कर देखते हैं। पुरा संपदा से समृद्ध इस पूरे क्षेत्र को लेकर यह मान्यता भी है कि वनवासकाल के दौरान भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ बारिश के समय राम छज्जा और सीता तलाई में भी कुछ समय बिताया था।

भगवान ने राम छज्जा में किया था विश्राम

प्राचीन मान्यता है कि भगवान राम वनवास काल में विदिशा-रायसेन की बेतवा और बेस नदी के संगम पर आए थे। बारिश के दौरान उन्होंने कुछ समय रामछज्जा में बिताया। श्रीराम के चरण पड़ने से यह स्थान चरणतीर्थ कहलाने लगा। बेतवा नदी उन्होंने जहां पैदल पार की वह स्थान पगनेश्वर माना जाता है। सीता तलाई पहाड़ी को माता सीता से जोड़कर देखा जाता है।

राम छज्जा में 10 हजार साल पुराने शैलचित्र : व्यास

प्रदेश के वरिष्ठ पुरातत्वविद नारायण व्यास ने ‘पीपुल्स समाचार’ से चर्चा में कहा कि क्षेत्रीय अंचल की मान्यता यही है कि रामछज्जा के शैल चित्र 5 से 10 हजार वर्ष पुराने हैं। वहीं, भीमबैठका के शैल चित्र 15 हजार साल तक पुराने हैं। उन्होंने कहा कि एएसआई के नजरिए से हम इसकी पुष्टि नहीं करते, लेकिन जनश्रुति तो यही है। भीमबैठका से जैसे पांडवों की कहानी जुड़ी है, वैसे ही रामछज्जा को लेकर मान्यता है। चरण तीर्थ, गुप्त गंगा, बाणगंगा और भीमापुर को लेकर भी ऐसे ही दृष्टांत हैं।

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