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कर्नाटक BJP नेता के मर्डर केस में NIA की बड़ी कार्रवाई, PFI के 20 सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर

NIA ने कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में भाजपा युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेतारू की हत्या मामले में बड़ी कार्रवाई की है। NIA ने प्रतिबंधित संगठन PFI के 20 सदस्यों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। एनआईए का कहना है कि इस संगठन का उद्देश्य समाज में आतंक फैलाना और लोगों में डर पैदा करना था। एजेंसी ने बेंगलुरु के स्पेशल कोर्ट में IPC की धारा 120बी, 153ए, 302 और 34 और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 16, 18 और 20 के तहत चार्जशीट दायर की है।

चार्जशीट में कौन-कौन?

एनआईए ने बताया कि चार्जशीट में महद शियाब, ए बशीर, रियाज, मसूद केए, कोडाजे मोहम्मद शेरिफ, एम पैचार, अबुबकर सिद्दीक, नौफल एम, के इकबाल, शहीद एम, महद शफीक जी, इस्माइल के, उमर फारूक एम आर, अब्दुल कबीर सीए, सैनुल आबिद वाई, शेख हुसैन, जकीर ए, मुहम्मद आई शा, एन अब्दुल हारिस, थुफैल एमएच का नाम शामिल है।

पीएफआई ने आतंक, सांप्रदायिक घृणा और समाज में अशांति पैदा करने के लिए ‘सर्विस टीम’ या ‘किलर स्क्वॉड’ का गठन किया था।

26 जुलाई 2022 को हुई थी BJP नेता की हत्या

26 जुलाई 2022 को कर्नाटक के बेल्लारी निवासी प्रवीण नेतारू की धारदार हथियारों से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। प्रवीण कर्नाटक बीजेपी युवा मोर्चा का जिला सचिव था। प्रवीण की हत्या उस वक्त की गई, जब वह रात में अपनी दुकान बंद कर घर जा रहा था। उसी समय मोटरसाइकिल पर सवार बदमाशों ने तलवार, हंसिया और कुल्हाड़ी से हमला कर प्रवीण की हत्या कर दी थी।

नुपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट करने के चलते राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल नामक एक व्यक्ति का कट्टरपंथियों ने गला काटकर हत्या कर दी थी। प्रवीण ने भी कन्हैयालाल के समर्थन में बीते साल 29 जून को फेसबुक पोस्ट की थी। ऐसे में माना गया कि इसी के चलते प्रवीण की हत्या की गई।

देश के 23 राज्यों में सक्रिय है संगठन

पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी PFI का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। जिनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है।

क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक इस्लामिक संगठन है। ये संगठन खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है। 2006 में मनिथा नीति पसाराई (MNP) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) का गठन किया था। संगठन की जड़े केरल के कालीकट में हैं। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 23 राज्यों में इसका विस्तार हो चुका है।

केरल से चर्चा में आया था PFI

PFI सबसे पहले 2010 में चर्चा में आया था। आरोप था कि, प्रोफेसर जोसेफ ने एक प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल के जरिए पैगंबर मोहम्मद साहब का अपमान किया था। इसके बाद कहा गया कि, PFI कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट दिए थे।

संगठन पर क्यों लगाया गया प्रतिबंध

सरकार ने पिछले महीने PFI और उसके कई सहयोगियों पर आतंकी संगठन ISIS के साथ ‘कनेक्शन’ होने के आरोप में पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 250 से ज्यादा लोगों को पिछले महीने कई राज्यों में छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया था।

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पीएफआई की उत्पत्ति और विचारधारा

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (NDF), कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए। 16 फरवरी, 2007 को बेंगलुरु में तथाकथित ‘एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस’ के दौरान एक रैली में पीएफआई के गठन की औपचारिक रूप से घोषणा की गई थी।

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