
प्रवीण श्रीवास्तव / भोपाल। पुराने शहर में स्थित शिवनगर में टीनशेड वाला एक कमरे का घर बमुश्किल 8 बाई 10 के कमरे में न खिड़की और न वेंटिलेशन। अंदर टूटा सा बेड और एक प्लास्टिक की कुर्सी रखी थी। दीवार का प्लास्टर झड़ रहा है। कमरे के बाहर छोटी सी जगह में कच्ची दीवार उठाकर गलियारा जैसा बना लिया। यहां खाना बनाने के साथ जरूरत का सामान भी रखा है। सीलन की गंध से वहां खड़ा होना मुश्किल है। ऐसे माहौल में इस घर में छह सदस्यों का पूरा परिवार रहता है। बीते तीन महीने से यह परिवार बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। किराना खरीदने तक के पैसे नहीं है, बिजली का बिल नहीं भरा तो कनेक्शन कट गया। अब परिवार चलाने वाली एकमात्र सदस्य की नौकरी भी खतरे में है। यह कहानी है करीब 40 साल की सुनीता कोली की। सुनीता 10 साल से हमीदिया अस्पताल में आया का काम करती हैं। वह बताती हैं कि बीते तीन महीने से उन्हें सैलरी नहीं मिली है। अब तो उनकी नौकरी भी सुरक्षित नहीं है। वजह यह है कि -गांधी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन बजट की कमी बताकर हमीदिया अस्पताल के 250 कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है। इनमें सुनीता भी शामिल हैं।
मकान खाली करने की धमकी :
सुनीता के घर में पति मोहन के अलावा दो बेटियां और सास-ससुर भी हैं। पति को एक साल पहले टीबी हुई थी, फेफड़े कमजोर होने से नौकरी छूट गई। सास-ससुर भी बीमार रहते हैं। अब परिवार की जिम्मेदारी सुनीता पर है। 8 हजार रुपए वेतन से जैसे-तैसे घर चलता है। वेतन न मिलने से खाने के लाले पड़ गए हैं। बिल जमा नहीं करने से एक महीने से बिजली कट गई है। किराया नहीं मिलने से मकान मालिक ने घर खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। सुनीता कहती हैं, आसपास से उधार मांग कर काम चल रहा है, वह भी कब तक देंगे।
किसी ने बच्चों की फीस नहीं भरी, तो किसी को किराया नहीं भरने पर घर खाली करने की चेतावनी
कल्याण नगर में रहने वाली कल्पना भी हमीदिया में काम करती थीं। उन्होंने बताया कि पति की आंख में तकलीफ है, वे काम नहीं कर सकते। कॉलेज प्रबंधन ने मुझे नौकरी से हटा दिया, तीन महीने से वेतन भी नहीं दिया। बेटियों की स्कूल की फीस नहीं भर पाई हूं। पता नहीं आगे के दिन कैसे गुजरेंगे। रजनी भी कल्याण नगर में रहती हैं। वह कहती हैं, पहले कहा गया था कि 3 महीने का वेतन मिल जाएगा। अब अचानक नौकरी से हटाने का लेटर थमा दिया। कई महीनों से किराया नहीं दिया, तो मकान मालिक घर खाली करने का दबाव बना रहा है। अकेली रहती हूं, नौकरी के अलावा कोई और साधन नहीं है।
इसलिए बने यह हालात
हमीदिया अस्पताल में आउटसोर्स सर्विसेस का ठेका एजाइल कंपनी के पास है। उसके 1850 से अधिक कर्मचारी हैं। इनमे से 800 का वेतन कॉलेज प्रबंधन देता है। फंड न होने का कहकर छह महीनों से प्रबंधन ने वेतन नहीं दिया। कंपनी ने अपनी तरफ से 3 माह का वेतन दिया। अब कॉलेज प्रबंधन 250 कर्मियों को हटा रहा है। अस्पताल परिसर में इसका विरोध कर रहे कर्मियों को मंगलवार को बलपूवर्क हटा दिया गया।
गांधी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और एजाइल कंपनी दोनों ने हमारा शोषण किया है। बिना वेतन व बोनस दिए नौकरी से निकाला जा रहा है। अब हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। मोहन सागर, अध्यक्ष, हमीदिया आउटसोर्स कर्मचारी संघ