ताजा खबरराष्ट्रीय

Patanjali Case : रामदेव-बालकृष्ण का माफीनामा खारिज, सख्त लहजे में कहा-हम अंधे नहीं, अगली कार्यवाही के लिए तैयार रहें

नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव बाबा और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की ओर से मांगी गई माफी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट उनके माफीनामे से संतुष्ट नहीं हैं और उसने फिर से जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हम अंधे नहीं हैं। आप अगली कार्यवाही के लिए तैयार रहें। बता दें कि आज की सुनवाई से पहले बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी थी। दोनों ने एक हलफनामा दायर कर यह कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे और गरिमा बरकरार रखेंगे।

कोर्ट ने क्या कहा ?

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में कहा, हम सिफारिश में विश्वास नहीं करते। मुफ्त सलाह हमेशा वैसे ही स्वीकार की जाती है। हम दाखिल हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं और कहा, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेंगे। इन लोगों ने तीन-तीन बार हमारे आदेशों की अनदेखी की है। इन लोगों ने गलती को है इनको नतीजा भुगतना होगा।

Patanjali Misleading Advertising Case

16 अप्रैल को दोबारा पेश होना है

कोर्ट ने आगे कहा आप हलफनामे में धोखाधड़ी कर रहे हैं, इसे किसने तैयार किया? मुझे आश्चर्य है। रामदेव और बालकृष्ण को फिलहाल कोई राहत नहीं जी जाएगी। दोनों को 16 अप्रैल को दोबारा पेश होना होगा।

कोर्ट ने आयुष मंत्रालय को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, कानून का मखौल बनाया जा रहा है और प्राधिकार चुप बैठे हैं। बड़ी आसानी से आयुर्वेद दवाइयां आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट इस बात को लेकर आयुष मंत्रालय को फटकार लगाई और कहा, आखिर आपने हलफनामे में क्या कहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च अदालत का मजाक बन गया है।

निगेटिव प्रमोशन के साथ किया था झूठा दावा

बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी की IMA की ओर से 17 अगस्त 2022 को एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया, पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रमोशन तो किया ही, लेकिन खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से बीमारियों के इलाज का झूठा दावा भी किया।

patanjali advertisement

आईएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।

हर प्रोडक्ट पर लग सकता है 1 करोड़ का जुर्माना

21 नवंबर 2023 को सुनवाई में जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी गुमराह वाले विज्ञापनों को बंद करना होगा। ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

पहले भी मिल चुके हैं नोटिस

  • बता दें कि, 2015 में कंपनी ने आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। जिससे पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस भेजा गया था।
  • 2015 में कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट यानी CSD ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अनफिट बताया था। इसके बाद 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियां मिलने की शिकायत दर्ज कराई थी।
  • 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि को मेडिसिनल प्रोडक्ट गिलोय घनवटी पर फटकार लगाई थी। इसमें उन्होंने एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिख दी थी।

ये भी पढ़ें – Patanjali Advertising Case : भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर मांगी माफी, कोर्ट ने अल्टिमेटम देकर कहा- परिणाम के लिए हो जाएं तैयार

संबंधित खबरें...

Back to top button