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‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर केंद्र ने बनाई कमेटी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। इसका नोटिफिकेशन आज जारी हो सकता है। केंद्र की बनाई कमेटी एक देश एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर गौर करेगी और लोगों की राय भी लेगी। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। एक देश एक चुनाव पर सरकार बिल भी ला सकती है।

वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की वकालत कर चुके हैं। नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होंगे। मई 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के कुछ समय बाद से ही एक देश एक चुनाव को लेकर बहस शुरू हो गई थी।

क्या है एक देश-एक चुनाव का मतलब

एक देश-एक चुनाव या वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि, पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। बता दें कि, आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे। लेकिन कई विधानसभाएं 1968 और 1969 में समय से पहले ही भंग कर दी गईं। जिसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई और वन नेशन-वन इलेक्शन की परंपरा टूट गई।

वन नेशन-वन इलेक्शन के फायदे

पैसों की बर्बादी से बचना : इस बिल को लेकर सबसे बड़ा तर्क यही दिया जा रहा है कि, इससे चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं। 1951-1952 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रुपए, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थए। पीएम मोदी कह चुके हैं कि, इस बिल से देश के संसाधन बचेंगे और विकास की गति धीमी नहीं पड़ेगी।

बार-बार चुनाव कराने के झंझट से छुटकारा : भारत जैसे विशाल देश में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। इनके आयोजन में पूरी स्टेट मशीनरी और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस बिल के लागू होने से चुनावों की बार-बार की तैयारी से छुटकारा मिल जाएगा। चुनावों के लिए पूरे देश में एक ही वोटर लिस्ट होगी, इससे सरकार के विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।

नहीं रुकेगी विकास कार्यों की गति : यह भी कहा जा रहा है कि, देश में बार-बार होने वाले चुनावों की वजह से आदर्श आचार संहिता लागू करनी पड़ती है। जिसकी वजह से सरकार समय पर कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाती या फिर विभिन्न योजनाओं को लागू करने में दिक्कतें आती हैं। इससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं।

काले धन पर लगेगी लगाम : एक तर्क यह भी है कि, इससे कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगने में मदद मिलेगी। विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर चुनावों के दौरान ब्लैक मनी के इस्तेमाल का आरोप लगता रहा है।

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