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प्रमोशन के मुद्दे पर कमलनाथ ने सरकार को घेरा, कहा- अधिकारी-कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा, नहीं हो रहीं भर्तियां

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुरुवार को मध्यप्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रमोशन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा- प्रदेश में पिछले 6 वर्ष से अधिकारी-कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी है। इस वजह से प्रदेश के करीब 3 लाख से अधिक कर्मचारी, अधिकारियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रमोशन की उम्मीद में ही 70 हजार कर्मचारी, अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। इसके अलावा प्रमोशन नहीं होने की वजह से मूल पद खाली नहीं हो रहे और भर्ती प्रकिया रुकी पड़ी है। अधिकारी-कर्मचारियों को पदोन्नति देने में प्रदेश सरकार नाकाम है।

सरकार की वजह से लगी है रोक

कमल नाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को भर्ती नियमों में लागू आरक्षण 2002 के रोस्टर को रद्द कर दिया था। उसी समय से प्रमोशन रुके हैं। यह रोस्टर इसलिए रद्द हुआ कि सरकार ने कर्मचारियों की वर्गवार नियुक्ति प्रमोशन का डाटा और अन्य तथ्यात्मक जानकारी हाईकोर्ट में पेश नहीं की और न ही इसके पक्ष में सही तरीके से दलीलें रखीं।

हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश की किंतु, वहां भी तथ्यात्मक जानकारी पेश न होने और सक्षम पक्ष समर्थन न होने से प्रकरण लंबित चल रहा है। इसके चलते पिछले 6 वर्ष से चल रही कोर्ट की कार्यवाही में कई करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन अब तक नतीजा नहीं आया है।

आंकड़ों के आधार पर करना था प्रमोशन

कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को अधिकारी कर्मचारियों के वर्गवार आंकड़े जुटाकर प्रमोशन करने के निर्देश दिए थे। लेकिन, सरकार ने न तो आंकड़े जुटाए और न ही अभी तक पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की। ऐसे में कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो रहे हैं।

प्रभार पर चल रहे खाली पद

मप्र कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो रहे हैं और उनके जाने के बाद खाली होने वाले पदों को प्रभार में देकर काम चलाया जा रहा है। छोटे-बड़े लाखों पद प्रभार की स्थिति में हैं। इससे काम पर भी असर पड़ रहा है।

जहां प्रमोशन हुआ, वहां दोहरे मापदंड

कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने वन विभाग, मेडिकल, जेल, पुलिस, जलसंसाधन आदि में कुछ प्रमोशन दिए हैं, लेकिन इन विभागों में भी सभी वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को योग्यतानुसार पदोन्नति नहीं दी गई। इससे कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है।

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