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ओडिशा रेल हादसा : एनडीआरएफ ने खत्म किया अभियान, सभी नौ दल हटाए गए

नई दिल्ली। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने सोमवार को ओडिशा के बालासोर जिले में ट्रेन दुर्घटना स्थल से अपने सभी नौ दलों को वापस बुलाने के साथ अपना बचाव अभियान समाप्त कर दिया। इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की जान गंवा दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बल ने 44 पीड़ितों को बचाया और दो जून को दुर्घटना के बाद टीम को तैनात किए जाने के बाद से मौके से 121 शव बरामद किए।

सभी नौ दलों को अब वापस बुलाया गया

अधिकारियों ने बताया कि, अभियान समाप्त हो गया है और सभी नौ दलों को अब वापस बुला लिया गया है। क्योंकि बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटना स्थल पर कोई जीवित या मृत पीड़ित मौजूद नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि आठ दलों को रविवार को बुला लिया गया था, जबकि एक दल को सोमवार को वापस बुलाया गया। नौ दलों को बालासोर, मुंडाली (कटक जिला) और कोलकाता से भेजे जाने के बाद बचाव और राहत अभियान चलाने के लिए राज्य आपदा बलों और स्थानीय प्रशासन के कर्मियों के साथ जोड़ा गया था।

NDRF की टीम ने इस्तेमाल किए ये उपकरण

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के बचावकर्मियों ने अभियान के दौरान भारी प्लाज्मा और गैस कटर, स्ट्रेचर, श्वान दल और अन्य उपकरण का इस्तेमाल किया। कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम करीब सात बजे ‘लूप लाइन’ पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे इसके (कोरोमंडल एक्सप्रेस के) अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए। उसी समय वहां से गुजर रही तेज रफ्तार बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकराकर पटरी से उतर गए।

100 से अधिक मेडिकल टीमें तैनात

जेना ने कहा कि एनडीआरएफ की नौ टीम, ओडिशा आपदा त्वरित प्रतिक्रिया बल (ओडीआरएएफ) की 5 इकाइयां और दमकल सेवा की 24 टीम बचाव अभियान में लगी थीं, जो अब पूरी हो चुका है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में रात के समय सर्जरी के लिए व्यवस्था की गई है और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ 100 से अधिक मेडिकल टीम को तैनात किया गया है।

रेल मंत्री ने बताया हादसे का कारण

ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए रेल हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई और एक हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए।  हादसे का कारण पता चल गया है। रेल मंत्री ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि, यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ। हमने जिम्मेदारों की भी पहचान कर ली है, उनपर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम वह होता है जिसमें ट्रेन का ट्रैक तय किया जाता है। इसके साथ ही रेल मंत्री ने कहा कि हादसे का कवच सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं है।

कैसे हुआ हादसा

जानकारी के मुताबिक, हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शाम करीब 7 बजे हुआ। रेलवे के मुताबिक कोलकाता-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस और यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस बहानगा स्टेशन के पास डिरेल हो गई थीं। इसके बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन पास के ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पहले यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस डिरेल हुई थी। इसके कुछ डिब्बे दूसरी पटरी पर पलटे और दूसरी तरफ से आ रही शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए। इसके बाद कोरोमंडल ट्रेन की भी कुछ बाोगियां पटरी से उतर गईं। ये बोगियां दूसरे ट्रैक पर मालगाड़ी से टकरा गईं। कुछ बोगियां मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गईं।

उड़ गई पटरी, अलग हो गए पहिए

तीन ट्रेनों की टक्कर इतनी भयानक और भीषण है की रेल ट्रैक पर कई किलोमीटर पटरी गायब है। भीषण टक्कर के बाद पटरी टूटकर दूर जा गिरी। ट्रेन की बोगियों से पहिये अलग हो चुके हैं, बोगियां पिचक गईं थीं और ट्रेन के दोनों पहिये अलग हो गए। टक्कर के बाद स्टील की बोगियां खिलौने जैसी पिचकी पड़ी थीं। राहतकर्मी गैस कटर से बोगी काट काटकर अलग कर रहे हैं और उसमें फंसे लोगों को निकाल रहे हैं। अंदर का दृश्य बेहद भयावह है।

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