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International Tea Day: चाय की चुस्की के साथ जानें इसका इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

दुनिया में पानी के बाद सबसे ज्यादा चाय पी जाती है। कई लोगों के लिए दिन की शुरुआत ही तब होती है, जब उनको पहली चाय मिलती है। चाय पीने वालों में सबसे ज्यादा लोग भारत से हैं। घर हो या दफ्तर, खुशी हो या गम, सर्दी, गर्मी हो या फिर बरसात, चाय का प्याला हमेशा साथ होता है। तो चलिए आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।

क्या है चाय का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस को वर्ष 2005 से मनाया जाता आ रहा है। पहले चाय उत्पादक इस दिन को 15 दिसंबर को मनाते थे। लेकिन वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के माध्यम से आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल टी डे मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ में रखा गया, जिसको 21 दिसंबर 2019 को मान्यता दी गयी और 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस घोषित कर दिया गया। जिसके बाद से हर साल 21 मई को इंटरनेशनल टी डे मनाया जाने लगा।

इस दिन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • भारत के कई राज्यों में चाय के बागान हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में चाय ब्रिटिश शासन के दौरान आई।
  • भारत में पहली बार वर्ष 1834 में ब्रिटिश सरकार ने चाय का उत्पादन शुरू किया था। आज यह भारत के लगभग हर घर में पहुंच गई है।
  • चीन चाय का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके बाद भारत, केन्या, श्रीलंका और वियतनाम का नंबर आता है।
  • पहले की कुछ सदियों तक चाय का उपयोग सिर्फ एक दवा के रूप में ही होता था।
  • चाय को हिंदी में ‘दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी’ कहते हैं।
  • चाय अफगानिस्तान और ईरान का राष्ट्रीय पेय है।
  • स्वाद के साथ-साथ चाय अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों और वजन घटाने के प्रभाव के लिए भी जानी जाती है।

चाय के हैं कई रूप

चाय के भी कई रूप हैं, हर रूप में इसका स्वाद भी अलग है। अलग-अलग क्षेत्रों में चाय बनाने के तरीकों में भी भिन्नताएं हैं। कोरोना महामारी के दौर में कई ऐसे लोग जो चाय नहीं पीते थे, वे भी अब इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अदरक, लाँग और कालीमिर्च वाली चाय पीने लगे हैं।

कुछ इसे इम्यूनिटी बूस्टर झिंगर टी कहते हैं कुछ मसाला टी। किसी को ब्लैक टी पसंद है तो किसी ग्रीन टी। हालांकि, अधिकांश लोग दूध-चीनी के साथ चायपत्ती को उबाल कर बनने वाली कड़क चाय पीते हैं।

हजारों लोगों की आजीविका का आधार

दुनियाभर में चाय का सर्वाधिक उत्पादन एशिया महाद्वीप में होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह आसानी से और बेहद कम लागत में उपलब्ध है। पूर्वोत्तर भारत में भी हजारों लोग चाय बागानों में काम करते हैं, उनकी आजीविका चाय पर ही निर्भर है।

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