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केरल में निपाह वायरस कंट्रोल में, CM पिनराई विजयन बोले- खतरा अभी टला नहीं

तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि कोझिकोड जिले में निपाह का प्रकोप नियंत्रण में है, लेकिन संक्रामक बीमारी का खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने कहा कि फिलहाल निपाह प्रकोप की दूसरी लहर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

बता दें कि 16 सितंबर के बाद केरल में निपाह वायरस का कोई मामला नहीं मिला है। जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने केरल के कोझिकोड जिले में 9 पंचायतों के कन्टेनमेंट जोन में छूट की घोषणा की है।

निपाह का खतरा पूरी तरह टला नहीं : विजयन

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, यह नहीं कहा जा सकता कि निपाह का खतरा पूरी तरह टल गया है। उन्होंने कहा कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग घातक वायरस के प्रसार को प्रभावी ढंग से रोक सकता है। स्वास्थ्य विभाग सावधानी से काम कर रहा है। वायरस का जल्दी पता चलने से खतरनाक स्थिति टल गई।

994 लोग निगरानी में हैं

सीएम विजयन ने कहा, बीमारी की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विजयन ने कहा कि वर्तमान में 994 लोग निगरानी में हैं। उन्होंने बताया कि 17 सितंबर को 304 लोगों के सैंपल एकत्र किए गए और इनमें से 267 लोगों के टेस्ट के रिजल्ट मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि 6 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई और 9 लोग कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में निगरानी में हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) भी इस बात का स्पष्ट जवाब नहीं दे सका कि कोझिकोड जिले से निपाह के मामले क्यों सामने आ रहे हैं। इससे पहले 2018 और 2021 में कोझिकोड जिले से निपाह के मामले सामने आए थे।

कैसे फैलता है ये वायरस?

निपाह एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। जिसे ज़ूनोटिक डिज़ीज़  कहा जाता है। ये चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैल सकता है। सबसे पहले साल 2004 में इस वायरस के बारे में बांग्लादेश में लोगों को पता चला था। यहां कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले फल को चखा था।

विशेषज्ञों के मुताबिक फ्रुट बैट्स या चमगादड़ों में निपाह वायरस प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति चमगादड़ों के सीधे संपर्क में आता है, तो वह निपाह वायरस से संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा ये वायरस दूषित भोजन करने से भी इंसान को संक्रमित कर सकता है। दरअसल, इस वायरस से संक्रमित चमगादड़ जब कोई फल खाते हैं, तो अपनी लार को उसी पर छोड़ देते हैं। ऐसे में इंसान जब उस फल को खाता है तो वह भी इस वायरस से संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा यह वायरस संभावित रूप से चमगादड़ के मल और चमगादड़ के मूत्र और जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।

कितना खतरनाक है ये वायरस?

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में 40 से 75 फीसदी तक की मौत हो जाती है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि इसका कोई इलाज नहीं है। निपाह वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 10 सबसे खतरनाक वायरस की लिस्ट में शामिल किया है।

निपाह वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड (संक्रामक सम)य बहुत लंबा होता है, कई बार तो 45 दिन। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, और उसे इस बारे में पता ना हो तो वह इस वायरस को और भी लोगों में फैला सकता है।

कैसे रखा गया इस वायरस का नाम

  • निपाह का नाम मलेशिया के एक गांव के नाम पर रखा गया है। 1998-99 के दौरान इसी गांव में निपाह का पहला केस सामने आया था।
  • जिस चमगादड़ को इस वायरस का होस्ट माना गया है, उसे flying fox भी कहते हैं। यह आमतौर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पर पाया जाता है। इन चमगादड़ों को खजूर बहुत पसंद है।
  • इस वायरस को NIV के नाम से भी जाना जाता है। यह जानवरों और इंसान दोनों को अपना शिकार बनाता है।

इस वायरस के लक्षण

निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में तेज बुखार, थकान, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द और एनसीफिलाइटिस जैसे लक्षण दिख सकते हैं। विशेषज्ञ के अनुसार एनसीफिलाइटिस होने पर दिमाग में सूजन भी आ जाती है और ऐसे में मरीज की मौत तक हो सकती है।

बचाव के उपाय

  • समय-समय पर हाथ धोते रहें, खासकर खाना खाने से पहले और खाने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से जरूर धोएं।
  • दूषित फलों को खाने से बचें (खासकर दूषित आम और खजूर)
  • संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
  • इस वायरस के चलते जिनकी मौत हुई हो, उनके शव से भी दूर रहें।

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