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NGT ने अपने आदेश में किया संशोधन : वापस ली मुख्य सचिव पर की गई टिप्पणी, 5 लाख की पेनल्टी भी की माफ

भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी की केंद्रीय पीठ ने केरवा और कलियासोत डैम में सीवेज का पानी मिलने और बफर जोन में अतिक्रमण न हटाने के मामले में अपने आदेश में संशोधन किया है। ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर की गई टिप्पणी को वापस लेने के साथ ही 5 लाख का जुर्माना भी माफ कर दिया है। एनजीटी ने मामले की सुनवाई करते हुए 18 अगस्त को राज्य सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई थी। जारी आदेश में कहा गया है कि, 18 अगस्त को जारी आदेश के पैरा-4 को वापस लिया जाता है।

कमेटी ने कहा- इसमें मुख्य सचिव की गलती नहीं है

याचिकाकर्ता ने इसका विरोध जताते हुए शिकायत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और एनजीटी चेयरमैन से की है। केरवा-कलियासोत डैम के कैचमेंट में अतिक्रमण, प्रदूषित हो रही वॉटर बॉडीज को लेकर एन्वायर्नमेंट एक्टीविस्ट सुभाष सी पांडे ने याचिका लगाई थी। बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान सीएस की अध्यक्षता वाली स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने 512 पेज की पेश रिपोर्ट में कहा, इसमें मुख्य सचिव की गलती नहीं है। तत्कालीन वकील (जो इस्तीफा दे चुके हैं), नगर निगम के सिटी प्लानर नीरज आनंद लिखार और पीसीबी (आरओ) ब्रजेश शर्मा ने एनजीटी के समक्ष पक्ष नहीं रखा। अफसरों ने भी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। ऐसे में पेनल्टी माफ की जाए।

कब्जाधारियों को प्रतिवादी बनाने के निर्देश

एनजीटी ने नगर निगम को निर्देश दिया है कि चिह्नित अतिक्रमण को जल्द नोटिस देकर हटाएं। साथ ही अतिक्रमणकारियों को भी प्रतिवादी बनाया जाए, जिससे उनका पक्ष भी बेंच के सामने आए। इस मामले में अब छह सदस्यीय समिति की अनुशंसा के आधार पर कार्रवाई होगी। इसकी रिपोर्ट 20 अक्टूबर को एनजीटी में प्रस्तुत करनी होगी। इधर, एनजीटी के आदेश के बाद निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। भदभदा पुल के पास भोज वेटलैंड के कैचमेंट में स्थित निर्माण को हटाने की कार्रवाई शनिवार से शुरू होगी।

क्या है पूरा मामला

स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, कलियासोत और केरवा डैम बफर जोन में बीते एक साल में 10 गुना से ज्यादा इजाफा हुआ है। एक साल पहले तक कलियासोत नदी और डैम के आसपास जहां 9 अवैध निर्माण थे, वहां अब इनकी तादाद 96 पहुंच चुकी है, जबकि केरवा में चिह्नित 6 अवैध निर्माणों का आंकड़ा अब 33 पर पहुंच गया है। यही नहीं इस कमेटी ने पुरानी कमेटी रिपोर्ट को फर्जी साबित करते हुए माना है कि कलियासोत नदी और डैम के साथ ही केरवा डैम में नाले मिल रहे हैं, जिन्हें रोकने लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने हैं।

केरवा और कलियासोत नदी और डैम बफर जोन में अवैध निर्माणों को लेकर एन्वायरमेंट एक्टिविस्ट डॉ. सुभाष सी. पांडे ने अक्टूबर-नवंबर 2022 में एनजीटी में याचिका लगाई थी। इसमें डॉ. पांडे ने कलियासोत नदी और डैम के पास 9 और केरवा क्षेत्र में 6 अवैध निर्माण होना बताया था। साथ ही नालों से नदी प्रदूषित होने की बात कही थी। लेकिन, जांच के लिए बनी स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अवैध निर्माणों और नदी में नालों से प्रदूषण की बात को नकार दिया था।

18 अगस्त को एनजीटी  ने लगाया था जुर्माना

11 अगस्त को सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने कलियासोत नदी के संरक्षण को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था। एनजीटी ने नदी के दोनों किनारों से 33 मीटर तक के सभी अतिक्रमण हटाकर ओपन स्पेस और ग्रीन बेल्ट विकसित करने का आदेश दिया। नदी के सीमांकन और अतिक्रमण चिह्नित करने के लिए दो महीने और इन्हें हटाने के लिए 31 दिसंबर 2023 तक का समय दिया गया। वहीं 18 अगस्त को सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने केरवा और कलियासोत डैम के बफर जोन में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर सरकार की अनदेखी व लापरवाही पर नाराजगी जताई थी। साथ ही एनजीटी ने पिछले आदेशों का पालन न होने और सीएस इकबाल सिंह बैस द्वारा संतोषजनक जवाब न दे पाने पर राज्य शासन पर 5 लाख रुपए की पेनल्टी लगा दी थी। आनन-फानन में सरकार ने स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी बनाई, जिसने 20 सितंबर को हुई पेशी में 512 पेजों की रिपोर्ट पेश की।

केरवा का पानी बी और कलियासोत का पानी ए तथा बी कैटेगरी का मिला

कलियासोत में 123 में से 64 खंभे टूट गए हैं। अब नए सिरे से 679 खंभे लगाए जा रहे हैं, जिनमें से 157 लग चुके हैं। इसी तरह केरवा में 1180 खंभे लगाए जाने हैं, जिसमें से 330 लग चुके हैं। केरवा का पानी बी कैटेगरी का और कलियासोत का पानी ए से बी कैटेगरी का मिला। ए कैटेगरी यानी पीने योग्य, बी कैटेगरी यानी स्नान योग्य। इसके साथ ही कलियासोत ग्रीन बेल्ट को डेवलप करने का काम शुरू कर दिया गया है, जो सितंबर 2024 तक पूरा होगा।

कमेटी में छह सदस्य: गौरतलब है कि एनजीटी के आदेश पर 31 अगस्त 2023 को स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी बनाई गई। सीएस की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में 6 सदस्य हैं। इसमें राजस्व, जल संसाधन, शहरी विकास विभाग और पीसीबी अधिकारियों सहित पीसीसीएफ और जिला कलेक्टर मेंबर हैं। इस कमेटी ने बुधवार को एनजीटी में रिपोर्ट पेश की है। 30 अक्टूबर 2022 को बनी स्टेट लेवल कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन, इन दोनों कमेटियों की रिपोर्ट में जमीन-आसमान का फर्क है।

नई रिपोर्ट ने खोलीं पुरानी रिपोर्ट की खामियां

नई रिपोर्ट

  • 01 कलियासोत में 96 और केरवा एरिया में 33 अवैध निर्माण हैं।
  • 02 अब चार गंदे नाले कलियासोत में मिलते पाए गए हैं। नदी और डैम में मिलने से रोकने के लिए एसटीपी बनाने को कहा गया है।
  • 03 नदी और डैम की हद तय करने वाली मुनारें (खंभे) अब खुर्दबुर्द पाई गई हैं।

पुरानी रिपोर्ट

  • 01 कलियासोत औक केरवा इलाके में अतिक्रमण नहीं मिले थे।
  • 02 इसी तरह पहले जहां कलियासोत और केरवा में कोई भी गंदा नाला नहीं मिल रहा था,
  • 03 नदी और डैम की हद तय करने वाली मुनारें (खंभे) जो पहले सही सलामत थीं।

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