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केरवा-कलियासोत में एक साल पहले जहां नहीं था एक भी अतिक्रमण, अब वहां मिले 129 कब्जे

स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश की रिपोर्ट

भोपाल। कलियासोत और केरवा डैम बफर जोन में बीते एक साल में 10 गुना से ज्यादा इजाफा हुआ है। एक साल पहले तक कलियासोत नदी और डैम के आसपास जहां 9 अवैध निर्माण थे, वहां अब इनकी तादाद 96 पहुंच चुकी है, जबकि केरवा में चिह्नित 6 अवैध निर्माणों का आंकड़ा अब 33 पर पहुंच गया है। ये खुलासा स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने बुधवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश अपनी रिपोर्ट में किया है। यही नहीं इस कमेटी ने पुरानी कमेटी रिपोर्ट को फर्जी साबित करते हुए माना है कि कलियासोत नदी और डैम के साथ ही केरवा डैम में नाले मिल रहे हैं, जिन्हें रोकने लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने हैं।

बता दें कि केरवा और कलियासोत नदी और डैम बफर जोन में अवैध निर्माणों को लेकर एन्वायरमेंट एक्टिविस्ट डॉ. सुभाष सी. पांडे ने अक्टूबर-नवंबर 2022 में एनजीटी में याचिका लगाई थी। इसमें डॉ. पांडे ने कलियासोत नदी और डैम के पास 9 और केरवा क्षेत्र में 6 अवैध निर्माण होना बताया था। साथ ही नालों से नदी प्रदूषित होने की बात कही थी। लेकिन, जांच के लिए बनी स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अवैध निर्माणों और नदी में नालों से प्रदूषण की बात को नकार दिया था।

इधर, 11 अगस्त को सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने कलियासोत नदी के संरक्षण को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था। एनजीटी ने नदी के दोनों किनारों से 33 मीटर तक के सभी अतिक्रमण हटाकर ओपन स्पेस और ग्रीन बेल्ट विकसित करने का आदेश दिया। नदी के सीमांकन और अतिक्रमण चिह्नित करने के लिए दो महीने और इन्हें हटाने के लिए 31 दिसंबर 2023 तक का समय दिया गया। जबकि 18 अगस्त को सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने केरवा और कलियासोत डैम के बफर जोन में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर सरकार की अनदेखी व लापरवाही पर नाराजगी जताई। साथ ही एनजीटी ने पिछले आदेशों का पालन न होने और सीएस इकबाल सिंह बैस द्वारा संतोषजनक जवाब न दे पाने पर राज्य शासन पर 5 लाख रुपए की पेनल्टी लगा दी। इधर, आनन-फानन में सरकार ने स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी बनाई, जिसने 20 सितंबर को हुई पेशी में 512 पेजों की रिपोर्ट पेश की है।

केरवा का पानी बी और कलियासोत का पानी ए तथा बी कैटेगरी का मिला

कलियासोत में 123 में से 64 खंभे टूट गए हैं। अब नए सिरे से 679 खंभे लगाए जा रहे हैं, जिनमें से 157 लग चुके हैं। इसी तरह केरवा में 1180 खंभे लगाए जाने हैं, जिसमें से 330 लग चुके हैं। केरवा का पानी बी कैटेगरी का है। कलियासोत का पानी ए से बी कैटेगरी का मिला है। ए कैटेगरी यानी पीने योग्य, बी कैटेगरी यानी स्नान योग्य। इसके साथ ही कलियासोत ग्रीन बेल्ट को डेवलप करने का काम शुरू कर दिया गया है, जो सितंबर 2024 तक पूरा होगा।

कमेटी में छह सदस्य: गौरतलब है कि एनजीटी के आदेश पर 31 अगस्त 2023 को स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी बनाई गई। सीएस की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में 6 सदस्य हैं। इसमें राजस्व, जल संसाधन, शहरी विकास विभाग और पीसीबी अधिकारियों सहित पीसीसीएफ और जिला कलेक्टर मेंबर हैं। इस कमेटी ने बुधवार को एनजीटी में रिपोर्ट पेश की है। जबकि 30 अक्टूबर 2022 को बनी स्टेट लेवल कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन, इन दोनों कमेटियों की रिपोर्ट में जमीन- आसमान का फर्क है।

एनजीटी ने पेनल्टी माफ करने की मांग ठुकराई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में बुधवार को सुनवाई में सीएस की अध्यक्षता वाली स्टेट लेवल जॉइंट कमेटी ने अपनी 512 पेज की रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में मुख्य सचिव की कोई गलती नहीं है। जबकि लापरवाही का ठीकरा सरकारी वकील (जो इस्तीफा दे चुके हैं) सहित नगर निगम सिटी प्लानर नीरज आनंद लिखार और पीसीबी (आरओ) ब्रजेश शर्मा पर फोड़ दिया। कहा गया है कि इन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाई। सरकारी वकील ने नौकरी छोड़ दी है, जबकि सीपी और आरओ को नोटिस दिया गया है। ऐसे में पेनल्टी न लगाई जाए। इधर, याचिकाकर्ता सुभाष सी.पांडे ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल ने जुर्माना पूर्व आदेशों का पालन न होने पर लगाया। अगर पेनल्टी माफ की जाती है तो इसका गलत संदेश जाएगा। ऐसे में एनजीटी ने पेनल्टी माफ करने की गुहार को ठुकरा दिया।

नई रिपोर्ट ने खोलीं पुरानी रिपोर्ट की खामियां

नई रिपोर्ट

  • 01 कलियासोत में 96 और केरवा एरिया में 33 अवैध निर्माण हैं।
  • 02 अब चार गंदे नाले कलियासोत में मिलते पाए गए हैं। नदी और डैम में मिलने से रोकने के लिए एसटीपी बनाने को कहा गया है।
  • 03 नदी और डैम की हद तय करने वाली मुनारें (खंभे) अब खुर्दबुर्द पाई गई हैं।

पुरानी रिपोर्ट

  • 01 कलियासोत औक केरवा इलाके में अतिक्रमण नहीं मिले थे।
  • 02 इसी तरह पहले जहां कलियासोत और केरवा में कोई भी गंदा नाला नहीं मिल रहा था,
  • 03 नदी और डैम की हद तय करने वाली मुनारें (खंभे) जो पहले सही सलामत थीं।

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