
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) की गुढ़ियारी में इन दिनों बागेश्वर धाम सरकार की कथा चल रही है। विवादों के बाद बागेश्वर महाराज सुर्खियों में हैं। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार में रविवार को एक मुस्लिम महिला ने इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया है।
इतना ही नहीं बागेश्वर धाम के दरबार में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुस्लिम महिला सुल्ताना का नामकरण किया। सुल्ताना का नाम अब शुभी हो गया है। इस बीच बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुस्लिम महिला से राखी बंधवाई और उसे सनातन धर्म में प्रवेश दिलाया।

बिलासपुर की रहने वाली है महिला
दरअसल, बागेश्वर महाराज के दिव्य दरबार में शनिवार को एक मुस्लिम महिला भी पहुंची थी। मुस्लिम महिला ने मंच से ही हिन्दू धर्म अपनाने की घोषणा कर दी थी। महिला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की रहने वाली है। महिला ने कहा कि सनातन धर्म श्रेष्ठ है… उसने कहा कि हिन्दू धर्म में भाई और बहन की शादी नहीं होती है…. ये धर्म सभ्यता वाला समाज है। महिला ने कहा कि सनातन धर्म श्रेष्ठ है, क्योंकि तीन तलाक बोल देने से पति और पत्नी का रिश्ता खत्म नहीं होता। महिला की बात सुनकर मंच में मौजूद लोग बाबा की जयकार लगाने लगे। महिला का नाम सुल्ताना है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
महिला ने कहा- राखी बांधकर भाई बनाना चाहती हूं
बिलासपुर से आई मुस्लिम महिला ने कहा कि वे रात से ही पंडाल में अर्जी देने पहुंच गई थीं। उनकी अर्जी स्वीकार नहीं हुई, लेकिन वे अब हिंदू धर्म को अपनाना चाहती हैं। साथ ही महाराज (पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) को राखी बांधकर अपना भाई बनाना चाहती हैं। महाराज ने उसकी विनती स्वीकार की और राखी बंधवाई।
तीन लोगों ने की घर वापसी की घोषणा
बता दें कि बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार में शनिवार को ओडिशा के तीन लोगों ने धर्म वापसी करने की घोषणा की। साथ ही एक मुस्लिम युवती ने भी इस्लाम को छोड़कर सनातन धर्म को अपनाने की घोषणा करते हुए कहा कि सनातन धर्म श्रेष्ठ है। मंच से महाराज ने हिंदू धर्म में आने वालों का स्वागत किया।
ओडिशा से आए एक परिवार के तीन लोगों को मंच पर ही महाराज ने पूछा कि वे किसी के दबाव में आकर तो सनातन धर्म को नहीं अपना रहे, तब उन्होंने कहा कि वे बागेश्वर धाम से प्रेरित होकर सनातन धर्म में वापसी कर रहे हैं, इससे पहले उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार किया था।
ये भी पढ़ें: धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में आए कैलाश विजयवर्गीय, कहा- जावरा की दरगाह पर क्यों नहीं बोला कोई ?