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5 माह बाद भी 3,000 से ज्यादा मजदूरों को नहीं मिली राशि

हुकुमचंद मिल के श्रमिक अब भी भटक रहे, मांगा जा रहा है रिकॉर्ड

इंदौर। हुकुमचंद मिल मजदूरों का 32 सालों का संघर्ष अभी भी जारी है। दरअसल तीन हजार से अधिक मजदूरों की राशि अभी भी अटकी हुई है। इसके पीछे का कारण दस्तावेजों में त्रुटि और सैलरी स्लिप का न होना आदि बताया जा रहा है। बता दें कि मजदूरों के पक्ष में आए फैसले के बाद मप्र गृह निर्माण मंडल ने दिसंबर 2023 में ही 218 करोड़ रुपए परिसमापक के खाते में जमा करा दिए थे। बावजूद इसके मिल के मजदूर भटक रहे हैं। मिल के 5895 मजदूरों को भुगतान होना है, इनमें से केवल 2685 मजदूरों को ही राशि प्राप्त हुई है। शेष 3210 मजदूर अभी भी चक्कर काट रहे हैं। मजदूरों को कहीं दस्तावेजों में त्रुटि, तो कहीं सैलरी स्लिप न होने के नाम पर अटकाया जा रहा है। साल 2018 में इन मजदूरों को 50 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ था, वह उनके पास मौजूद दस्तावेजों के आधार पर हुआ था। पीपुल्स समाचार ने इस मामले में परिसमापक अधिकारी व्योमस सेठ से पक्ष जानने के लिए कई बार फोन लगाया पर कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो सका।

छह माह से ज्यादा समय बीत चुका है आवेदन दिए, लेकिन राशि कब तक मिलेगी इसको लेकर कोई सही जबाव नहीं दे रहा है। आवेदन में आए दिन कुछ ना कुछ कमियां निकाल रहे हैं। -भानुचंद्र अर्जुन (70) मिल मजदूर

हाईकोर्ट में सुनवाई के समय मजदूरों की वेतन पर्ची मांगी थी। जिस पर पीएफ कार्यालय में पत्र भेजा था, कुछ मजदूरों के नाम क्लियर हो गए हैं। अगली सुनवाई जुलाई में होने वाली है। – नरेंद्र श्रीवंश, मजदूर नेता

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