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Siyaram Baba : निमाड़ के सियाराम बाबा ने त्यागी देह, शाम को निकलेगा डोला; भक्तों से लेते थे मात्र 10 रुपए का दान

खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत सियाराम बाबा ने बुधवार सुबह देह त्याग दी है। वे 100 साल से अधिक उम्र के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले कुछ दिनों से आश्रम में ही उनका इलाज चल रहा था। निधन की सूचना मिलने के बाद उनके भक्त दूर-दूर से खरगोन पहुंचना शुरू हो गए हैं। दोपहर तीन बजे उनका डोला निकलेगा।

भाजपा संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने जताया दुख

मध्य प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने बाबा के निधन पर पोस्ट शेयर कर लिखा- ‘परमहंस सद्गुरसंत, हनुमान भक्त सियाराम बाबा का आज मोक्षदा एकादशी पर देवलोकगमन हो गया। श्रद्धेय बाबा जी ने जीवन पर्यंत रामायण का पाठ करते हुए समाज को धर्म, भक्ति और सदाचार का संदेश दिया, उनका सम्पूर्ण जीवन मानवता, धर्म और नर्मदा मैया की सेवा में समर्पित रहा, बाबा जी का निधन देश व धर्म के लिए अपूरणीय क्षति हैं। ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें एवं उनके अनुयायियों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति:!’

PCC चीफ जीतू पटवारी ने जताया दुख

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बाबा के निधन पर दुख जताते हुए लिखा- प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त, निमाड़ की धर्म ध्वजा और आध्यात्मिक अनुभूति के प्रेरणापुंज संत श्री सियाराम बाबा जी के देवलोकगमन की दुखद सूचना प्राप्त हुई! मोक्षदा एकादशी को दिव्य ज्योति में विलीन हुई यह दिव्यात्मा प्रभु के मोक्ष-धाम में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर विराजित होगी! परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है दुख की इस घड़ी में भक्त परिवार को धैर्य प्रदान करें! || ॐ शांति ||

10 साल पैर पर तपस्या और 12 साल मौन व्रत

निमाड़ के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा रामभक्ति में लीन एक ऐसे संत हैं, जो रोजाना 21 घंटे तक बिना रुके रामायण का पाठ करते हैं। उनकी दिव्य दृष्टि का प्रमाण यह है कि 100 साल से भी ज्यादा उम्र के बावजूद वे बिना चश्मे के रामायण पढ़ते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी अपना सारा काम स्वयं करते हैं। उनके भक्तों का कहना है कि बाबा ने 10 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की और 12 साल तक मौन व्रत का पालन किया।

संत सियाराम बाबा अपना काम स्वयं करते हैं।

वास्तविक उम्र एक रहस्यमयी तथ्य

सियाराम बाबा मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के नर्मदा नदी के घाट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत हैं और यहीं रहते हैं। बाबा की उम्र को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वे 109 या 110 साल के हैं, जबकि कुछ का कहना है कि उनकी उम्र 130 साल के करीब है। हालांकि, बाबा ने भी खुद कभी अपनी उम्र के बारे में कोई खुलासा नहीं किया।

संत सियाराम बाबा 21 घंटे तक बिना रुके रामायण का पाठ करते हैं।

कौन हैं बाबा सियाराम?

संत सियाराम बाबा भगवान हनुमान के परम भक्त हैं। बाबा का जन्म महाराष्ट्र के किसी जिले में होना बताया जाता है। शुरुआती पढ़ाई के दौरान ही वे किसी संत के संपर्क में आए, जिसके बाद उनके मन में वैराग्य का विचार जागा। बाबा ने 7वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और घर-परिवार त्यागकर तपस्या के लिए हिमालय चले गए। हिमालय में तपस्या के बाद बाबा ने नर्मदा तट पर स्थित भट्याण आश्रम को अपना स्थाई ठिकाना बनाया। हालांकि, उनके बाद का जीवन काफी रहस्यमयी है, जिसकी जानकारी शायद ही किसी के पास जानकारी हो।

बाबा दान में लेते केवल 10 रुपए

सियाराम बाबा का सिद्धांत है कि सेवा ही सच्चा धर्म है। उनके अनुयायी बताते हैं कि बाबा दान में केवल 10 रुपए ही स्वीकार करते हैं। कोई लाखों रुपए दान करने की कोशिश करें, तो भी बाबा केवल 10 रुपए लेकर बाकी लौटा देते हैं। इसके अलावा, बाबा ने नर्मदा नदी के तट पर कई धर्मशालाएं और मंदिर बनवाए हैं। नर्मदा के संरक्षण के लिए भी वे करोड़ों रुपए दान कर चुके हैं।

बाबा का चमत्कारी जीवन और अद्भुत किस्से

  • कभी खत्म न होने वाली चाय की केतली : भक्तों का कहना है कि बाबा की केतली में कभी चाय खत्म नहीं होती। जब भी भक्त उनके पास चाय के लिए आते हैं, बाबा की केतली से सबके लिए पर्याप्त चाय निकलती है।
  • केवल लंगोट में जीवनयापन : कड़ाके की ठंड हो या भीषण गर्मी, बाबा केवल लंगोट धारण करते हैं। उनके अनुयायी कहते हैं कि तप और ध्यान के बल पर उन्होंने अपने शरीर को हर मौसम के अनुकूल बना लिया है। बाबा करीब 12 साल तक मौन व्रत में रहे।
  • रामायण का 21 घंटे तक पाठ : बाबा प्रतिदिन 21 घंटे रामायण की चौपाइयां पढ़ते हैं। इतनी उम्र में भी वे बिना चश्मे के पढ़ने में सक्षम हैं, जो अपने आप में एक चमत्कार जैसा है।

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