
ढाका। बांग्लादेश में गुरुवार को अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिसमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डॉ. मोहम्मद यूनुस को बतौर प्रमुख चुना गया। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने गोपनीयता की शपथ दिलाई। डॉ. यूनुस के साथ 16 अन्य सहयोगियों ने भी शपथ ली है, जिसमें 4 महिलाओं को भी शामिल किया गया है। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन ढाका में राष्ट्रपति के सरकारी आवास बंगभवन में हुआ। सोमवार को शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमान ने कार्यवाहक सरकार के गठन की घोषणा की थी।
कैबिनेट में दो 26 साल के नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद युवा छात्र नेताओं को भी शामिल किया गया है। ये वहीं छात्र नेता है जिन्होंने आंदोलन शुरू किया था और इस हद तक इसको गति दी कि बांग्लादेश में तख्तापलट कर दिया। 15 सालों से सत्ता में काबिज बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा।
कैबिनेट में शामिल हुए मंत्रियों का ब्यौरा
- नाहिद इस्लाम – ढाका यूनिवर्सिटी में सोशियोलॉजी से ग्रेजुएशन कर रहे नाहिद इस्लाम छात्र कार्यकर्ता और बांग्लादेश में गूंजे आरक्षण विरोधी आंदोलन के मुख्य कार्यकारी हैं। इनके द्वारा आरक्षण को लेकर शुरू किए गए छात्र आंदोलन की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर जाना पड़ा। वो देश की कैबिनेट में शामिल होने वाले सबसे यंग नेता होंगे।
- आसिफ महमूद – ढाका यूनिवर्सिटी के भाषा विज्ञान विभाग में मास्टर के छात्र हैं। आरक्षण विरोधी आंदोलन में इन्होंने मुख्य रोल निभाया।
- रिजवाना हसन – कैबिनेट में Environment Activist और सुप्रीम कोर्ट की वकील रिजवाना हसन का नाम सबसे पहले शामिल किया गया। वो बांग्लादेश पर्यावरण वकील एसोसिएशन (बीईएलए) की एग्जीक्यूटिव हैं। बांग्लादेश में पर्यावरण के लिए उनके सराहनीय कामों के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
- फरीदा अख्तर – सोशल एक्टिविस्ट फरीदा अख्तर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाती रही हैं। फरीदा कैबिनेट में चुनी गईं 4 महिलाओं में शामिल हैं। वो साल 1980 से महिलाओं के हक में आवाज उठाती आई हैं।
- आदिल-उर-रहमान खान – बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे आदिल-उर-रहमान खान प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ-साथ बांग्लादेश के राइट्स संगठन के सचिव भी हैं। इसका गठन देश में मानवाधिकार उल्लंघनों पर नजर रखने के लिए की गई थी।
- एएफएम खालिद हुसैन – हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश के नायब-ए-अमीर और इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी चटगांव में कुरान और इस्लामी स्टडीज़ के प्रोफेसर हैं।
- नूरजहां बेगम – साल 1976 में चटगांव जिले के जोबरा गांव में ग्रामीण बैंक की स्थापना के दौरान मुहम्मद यूनुस के शुरुआती सहयोगियों में से एक हैं।
- शर्मीन मुर्शिद – शर्मीन मुर्शिद एक इलेक्शन एक्सपर्ट हैं। वो देश में चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था “ब्रोटी” की मुख्य अधिकारी हैं। वह लंबे समय से देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के साथ-साथ लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने की वकालत करती आई हैं। उन्होंने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने में अहम भूमिका निभाई।
- फारुक-ए-आजम – वीरता के लिए बीर प्रतीक से सम्मानित फारुक-ए-आजम ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। वो एक नौसैनिक कमांडो थे।
- सालेहुद्दीन अहमद – बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर हैं और वर्तमान में BRAC बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर हैं।
- प्रोफेसर आसिफ – नजरूल ढाका यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर होने के साथ ही मानवाधिकार एक्टिविस्ट भी हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी और प्रमुख पत्रिकाओं व पुस्तकों में संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मुद्दों पर रिसर्च पेपर लिखे हैं।
- हसन आरिफ – अक्टूबर 2001 से अप्रैल 2005 तक उन्होंने अटॉर्नी जनरल के रूप में काम किया। जनवरी 2008 से जनवरी 2009 तक उन्होंने सरकार के कानूनी सलाहकार की भी जिम्मेदारी निभाई। हसन आरिफ पूर्व अटॉर्नी जनरल और बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रहे हैं।
- ब्रिगेडियर जनरल (रिटायर्ड) एम सखावत हुसैन – बांग्लादेश के पूर्व चुनाव आयुक्त (2007-2012) रहे हैं। साथ ही वो बांग्लादेश सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल हैं।
- सुप्रदीप चकमा – चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड (सीएचटीडीबी) के अध्यक्ष रहे हैं। सुप्रदीप चकमा ने पहले वियतनाम और मैक्सिको में बांग्लादेश के राजदूत के रूप में काम किया हैं। वो एक पूर्व राजदूत और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष हैं।
- प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय – मनोविज्ञान विशेषज्ञ, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान और अस्पताल के मानसिक हेल्थ के डायरेक्टर रहे हैं।
- तौहीद हुसैन – पूर्व विदेश सचिव रहे तौहीद, 1981 में बांग्लादेश विदेश सेवा में शामिल हुए थे। एक साल तक उन्होंने विदेश सेवा अकादमी के प्रिंसिपल के रूप में काम किया। हुसैन ने 2006 से 2009 तक बांग्लादेश के विदेश सचिव के रूप में काम किया। जून 2012 में, हुसैन को दक्षिण अफ्रीका में बांग्लादेश का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था।
शेख हसीना की पार्टी से कोई नहीं हुआ शामिल
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने यूनुस को मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई, जो प्रधानमंत्री के समकक्ष पद है। शपथ ग्रहण समारोह में ढाका स्थित राष्ट्रपति भवन में विदेशी राजनयिक, सिविल सोसाइटी के सदस्य, बिजनेसमैन और पूर्व विपक्षी पार्टी के सदस्य शामिल हुए लेकिन शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का कोई प्रतिनिधि शपथ ग्रहण में मौजूद नहीं था।
पीएम मोदी ने दी बधाई
डॉ. मोहम्मद यूनुस के शपथ के बाद पीएम मोदी ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारियां संभालने पर मेरी शुभकामनाएं। हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामान्य स्थिति में जल्द से जल्द वापसी की उम्मीद करते हैं। भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
शपथ के बाद डॉ. मोहम्मद यूनुस ने आंदोलन को सफल बनाने वाले युवाओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह हमारी दूसरी आजादी है।
कौन हैं मोहम्मद यूनुस ?
मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को हुआ था। वह बांग्लादेश के एक अर्थशास्त्री, बैंकर, सामाजिक उद्यमी और नागरिक समाज नेता हैं। साल 2006 में उन्होंने ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। इसके लिए ‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस को 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी। इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी।
यूनुस को नोबेल के अलावा और भी कई पुरस्कार मिले हैं। उन्हें 2009 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और 2010 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।
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