ढाका। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने यूनुस की नियुक्ति का ऐलान किया। यह जानकारी राष्ट्रपति शहाबुद्दीन के प्रेस सचिव ने मंगलवार देर रात दी। संसद भंग करने के बाद राष्ट्रपति शहाबुद्दीन और छात्र नेताओं के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। इसमें तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुख भी मौजूद रहे।
कौन हैं मोहम्मद यूनुस ?
मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को हुआ था। वह बांग्लादेश के एक अर्थशास्त्री, बैंकर, सामाजिक उद्यमी और नागरिक समाज नेता हैं। साल 2006 में उन्होंने ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। इसके लिए ‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस को 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी। इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी।
यूनुस को नोबेल के अलावा और भी कई पुरस्कार मिले हैं। उन्हें 2009 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और 2010 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।
शेख हसीना की पार्टी से जुड़े नेताओं की हत्या
बांग्लादेश में मंगलवार (6 अगस्त) को अवामी लीग से जुड़े नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों के कम से कम 29 शव मिले हैं। इसमें अवामी लीग के 20 नेता भी शामिल हैं। सोमवार (5 अगस्त) को उपद्रवियों ने अशोकतला में अवामी लीग से जुड़े पूर्व पार्षद मोहम्मद शाह आलम का तीन मंजिला घर आग के हवाले कर दिया। जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई। उनका शव मंगलवार (6 अगस्त) को मिला। भीड़ ने नेटोर-2 के सांसद शफीकुल इस्लाम शिमुल के घर पर हमला कर दिया और आग लगा दी। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई।
लोगों ने लालमोनिरहाट में अवामी लीग नेता सुमन खान के घर में भी आग लगा दी थी। उनके घर पर 6 शव बरामद किए गए। सोनागाजी उपजिला में अवामी लीग की सहयोगी पार्टी जुबा लीग के नेता मुश्फिकुर रहीम का शव एक पुल के नीचे पाया गया। वे जुबा लीग में सचिव पद पर थे। इसके अलावा जुबा लीग के एक अन्य नेता बादशाह मियां का शव सुबह फेनी जिले में मिला।
उपद्रवियों ने जलाया नेता का होटल, 24 की मौत
उपद्रवियों ने सोमवार रात जोशोर में अवामी लीग के एक नेता का होटल आग के हवाले कर दिया। इसमें 24 लोग जिंदा जल गए। इसमें इंडोनेशिया का भी एक शख्स शामिल है।
विपक्षी नेता खालिदा जिया जेल से रिहा
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया है। खालिदा जिया शेख हसीना की कट्टर प्रतिद्वंदी हैं। साल 2007 में बांग्लादेश में हो रहे चुनाव के दौरान फैली हिंसा के दौरान बनी कार्यकारी सरकार ने खालिदा जिया और उनके दो बेटों पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मामले में साल 2018 में उनको सजा सुनाई गई थी। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद ही राष्ट्रपति ने खालिदा जिया की रिहाई का आदेश दिया था। खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख हैं।
शेख हसीना ने PM पद से दिया इस्तीफा
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन सोमवार (5 अगस्त) को इतना तेज हो गया कि हजारों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में घुस गए। इस बीच सेना के अल्टीमेटम के बाद पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश भी छोड़ दिया। वह देश छोड़कर ढाका से अगरतला के रास्ते भारत पहुंचीं।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना कुछ दिनों तक भारत में ही रह सकती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना को फिलहाल सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि, अमेरिका ने शेख हसीना का वीजा रद्द कर दिया है।
आंदोलन में तीन हफ्तों में 300 से ज्यादा मौतें
रविवार (4 अगस्त) को 100 लोगों की मौत हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते तीन हफ्तों में यहां हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
BSF ने बांग्लादेश से लगी सीमा पर जारी किया ‘हाई अलर्ट’
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को बांग्लादेश में हुए घटनाक्रम के मद्देनजर 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी सभी यूनिट के लिए ‘हाई अलर्ट’ जारी किया। अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ के कार्यवाहक डीजी दलजीत सिंह चौधरी और अन्य वरिष्ठ कमांडर ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल के अग्रिम मोर्चे का दौरा किया। महानिदेशक दिल्ली से विमान के जरिये करीब सुबह साढ़े 10 बजे के करीब कोलकाता पहुंचे। महानिदेशक ने ‘उत्तर 24 परगना’ जिला और सुंदरबन इलाके में तैयारियों की समीक्षा की।
आरक्षण है आंदोलन की वजह
छात्रों ने पिछले महीने बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। वे लगातार इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। जिसके चलते पहले भी व्यापक रूप से हिंसा भड़क चुकी है और अब तक करीब 200 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। रविवार (4 अगस्त) को हुई इस हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया। राजधानी ढाका में स्थित शाहबाग चौराहे पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। इसके अलावा वहां मौजूद गाड़ियों में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे भी लगाए।
क्या है सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम
बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण तय किया गया था। बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में अलग-अलग कैटेगरी को मिलने वाला 56 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इस साल 5 जून को वहां के हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बढ़ते हिंसा प्रदर्शन को देखते हुए कोर्ट ने 21 जुलाई को आरक्षण की सीमा 56 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दी। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5 प्रतिशत आरक्षण तय किया था जो पहले 30 प्रतिशत था। बाकी 2 प्रतिशत आरक्षण एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए तय किया गया था।