
बीजिंग। तिब्बत के हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण इलाके में अधिक बारिश और ग्लेशियरों के पिघलने से अतिरिक्त अरबों टन पानी मनोरम दृश्य बनाने वाली कई झीलों के आकार में वृद्धि कर सकता है और इसका खामिया चीन को भारी आर्थिक नुकसान के रूप में भुगतना पड़ सकता है।
यह दावा अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने अपने अध्ययन में किया है। जर्नल नेचर जियोसाइंस में पिछले महीने प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक, इस सदी के अंत में क्विंगहई- तिब्बत पठार के इलाके में स्थित कुछ झीलों का दायरा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा और इनके जल संग्रह क्षमता में 600 अरब टन से अधिक की वृद्धि होगी। अगर यह पूवार्नुमान सही होता है तो चीन पर इसका भारी आर्थिक असर होगा और नुकसान अरबों अमेरिकी डॉलर का होगा।