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गोपाल मंदिर मामले में मैनेजर बर्खास्त, डिप्टी कलेक्टर को भी हटाया, कल यादव समाज करेगा शुद्धिकरण

इंदौर के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में रविवार को भव्य शादी समारोह आयोजित किया गया, जिसने कई नियमों का उल्लंघन करते हुए विवाद खड़ा कर दिया। यह प्राचीन मंदिर केवल छोटे मांगलिक कार्यों के लिए अनुमति देता है लेकिन इस आयोजन से श्रद्धालुओं में खासा नाराजगी देखी गई। इंदौर का यह मंदिर करीब 190 साल पुराना है। इधर, यादव समाज भी मंगलवार दोपहर को मंदिर का शुद्धिकरण करने का फैसला किया है।

मंदिर परिसर में हुआ भव्य आयोजन

गोपाल मंदिर का तीन साल पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए की लागत से जीर्णोद्धार किया गया था, जिसमें रविवार को फूलों से भव्य सजावट की गई। गलियारों में सोफे और कुर्सियां लगाई गईं और गर्भगृह के सामने हवन कुंड बनाकर फेरे संपन्न कराए गए।

आश्चर्यजनक रूप से, मंदिर परिसर में ही भोजन पकाने की व्यवस्था की गई थी। फूड स्टॉल्स और टेंट लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए, जिससे यातायात भी प्रभावित हुआ।

श्रद्धालुओं ने जताई आपत्ति

मंगलगीतों की गूंज के बीच मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं ने जब इस आयोजन का नजारा देखा, तो बहुत नाराज हुए। कई भक्तों को दर्शन करने से रोका गया। आयोजन के बाद मंदिर परिसर में गंदगी फैल गई, जिससे श्रद्धालुओं की भावना आहत हुई।

25 हजार रुपए में लिया गया किराए पर

मंदिर प्रबंधन ने बताया कि शहर के एक कारोबारी ने 25 हजार रुपए की रसीद कटवाकर मंदिर को किराए पर लिया था। कारोबारी ने दावा किया था कि युवक-युवती की शादी पहले ही हो चुकी है और यहां केवल आशीर्वाद और प्रसादी वितरण का कार्यक्रम होगा। हालांकि, इसके उलट दो दिनों तक मंदिर में भव्य सजावट, रेड कार्पेट, स्टेज और डीजे के इंतजाम किए गए।

कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता विवेक खंडेलवाल और गिरीश जोशी ने आयोजन के बाद फैली गंदगी और प्रशासन की लापरवाही को उजागर करते हुए वीडियो जारी किया। उन्होंने इस आयोजन को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि मंदिर में गंदगी के लिए प्रशासन, नगर निगम या स्मार्ट सिटी प्रबंधन में से जिम्मेदार किसे ठहराया जाए। गोपाल मंदिर को शादी के लिए किराए पर कैसे दिया गया। आयोजन के बाद सफाई का जिम्मा कौन उठाएगा।

पुरातत्व विभाग के अधीन आता है मंदिर

गोपाल मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन आता है, जहां इस तरह के भव्य आयोजनों की अनुमति नहीं होती। स्थानीय लोगों का कहना है कि आयोजन की अनुमति एक एसडीएम ने दी थी, जिन्हें यह बताया गया था कि यह एक छोटा मांगलिक आयोजन है।

माफी ऑफिसर डिप्टी कलेक्टर को भी हटाया

संभागायुक्त ने इंदौर कलेक्टर को निर्देशित किया है कि गोपाल मंदिर की व्यवस्था के लिए जिला स्तर पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। यह समिति मंदिर संचालन के संबंध में “क्या करें और क्या न करें” जैसे विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करेगी।

इसके साथ ही मामले में कार्रवाई करते हुए माफी ऑफिसर डिप्टी कलेक्टर विनोद राठौर को प्रभारी पद से हटा दिया है, साथ ही मंदिर के मैनेजर को भी बर्खास्त कर दिया गया है।

प्रशासन से कार्रवाई की मांग

स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने इस मामले में प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। सवाल यह भी है कि ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थल पर ऐसी घटनाएं कैसे हो सकती हैं, और भविष्य में इन पर कैसे रोक लगाई जाएगी।

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