धर्म

Kanwar Yatra 2022: आज से कांवड़ यात्रा शुरू, 400 CCTV कैमरे… 10 हजार पुलिसकर्मी तैनात; कांवड़ियों की वेशभूषा में करेंगे ड्यूटी

भगवान शिव को समर्पित सावन माह गुरुवार से शुरू हो गया है। हर तरफ बम-बम भोले की गूंज है। इसी के साथ कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो चुकी है। यात्रा को लेकर पुलिस और प्रशासन ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सावन के पवित्र महीने में भगवान भोले को खुश करने के लिए कांवड़ियों की बम भोले की जयकार काशी से हरिद्वार तक सुनाई दे रही है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

हरिद्वार में हजारों शिव भक्तों का जमावड़ा लगा है। इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार में 400 CCTV कैमरों से निगरानी की जा रही है, 10 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। 11 पुलिस अधीक्षकों को यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली है। 38 डीएसपी मेला क्षेत्र की सुरक्षा में तैनात हैं। कांवड़ यात्रा 26 जुलाई तक चलेगी।

बता दें कि, कोरोना महामारी की वजह से दो सालों से कांवड़ मेला नहीं होने के कारण इस बार बहुत अधिक संख्या में कांवड़ियों के आने की उम्मीद है। हरकी पैड़ी से लेकर कांवड़ रूट पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सीसी कैमरों की निगरानी रहेगी। कांवड़ियों की वेशभूषा में भीड़ में रहकर पुलिस कर्मी व्यवस्थाएं संभालेंगे।

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्देश जारी

ड्यूटी में तैनात सभी पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।

  • प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी अपना ड्यूटी प्वाइंट नहीं छोड़ेगा।
  • कोई भी अधिकारी-कर्मचारी अनावश्यक मोबाइल को प्रयोग नहीं करेगा।
  • ड्यूटी के दौरान नशे का सेवन करते मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
  • यातायात प्लान के हिसाब से वाहनों को उनकी दिशा में भेजा जाए।
  • बॉर्डर पर कांवड़ वाहनों की चेकिंग सख्ती से की जाए।

12 अगस्त तक रहेगा सावन का महीना

सावन का महीना इस साल 14 जुलाई से 12 अगस्त तक रहेगा। देवाधिदेव महादेव शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त कांवड़ ले जाते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु गंगा नदी से जल भरकर शिव मंदिर पहुंचते हैं और महादेव की कृपा पाने के लिए उस जल से रुद्राभिषेक करते हैं।

ये भी पढ़ें- Sawan Somvar 2022 : जानिए कब से शुरू हो रहा सावन मास, इस बार नहीं पड़ेंगे 5 सोमवार

क्या है कांवड़ यात्रा ?

सावन के इस पवित्र महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं। जिसमें लाखों भक्त भोलेनाथ को खुश करने के लिए हरिद्वार और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी कांवड़ को अपन कंधों पर रखकर पैदल लाते हैं। फिर गंगा जल भगवान शिवजी को चढ़ाया जाता है। इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहते हैं। पहले लोग पैदल ही कांवड़ यात्रा करते थे। हालांकि, बदलते समय के साथ भक्त बाइक, कार या अन्य साधनों का इस्तेमाल करने लगे हैं।

कांवड़ यात्रा की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था। उस मंथन से 14 रत्न निकले थे। उनमें से एक हलाहल विष भी था। जिससे संसार के नष्ट होने का डर था। उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए शिवजी ने उस विष को पी लिया, लेकिन अपने गले (कंड) से नीचे नहीं उतारा। जहर के प्रभाव से भोलेनाथ का कंड नीला पड़ गया। इस वजह से उनका नाम नीलकंड पड़ा। कहा जाता है कि रावण कांवड़ में गंगाजल लेकर आया था। उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया। तब जाकर शिवजी को विष से राहत मिली थी।

ये भी पढ़ें- Sawan Kanwar Yatra 2022 : सावन कांवड़ यात्रा कब से शुरू होगी, जानें क्या है इसके नियम और पौराणिक कथा

सावन माह के प्रमुख पर्व

25 जुलाई को प्रदोष, 26 जुलाई को महाशिवरात्रि, 31 जुलाई को हरियाली तीज, 2 अगस्त को नागपंचमी और 11 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

धर्म से जुड़ी अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें…

संबंधित खबरें...

Back to top button