हैदराबाद के दो ड्रैग आर्टिस्ट पतरूनी सास्त्री और आर्यन पात्रा दिन में बतौर टेक प्रोफेशनल काम करते हैं जबकि रात को वे शानदार ड्रैग क्वीन और किंग्स (एक आर्ट फॉर्म) के रूप में मंच पर दिखाई देते हैं। अपने रंग-बिरंगे कपड़ों, चमकदार विग्स और बोल्ड मेकअप के जरिए वे समाज में राजनीतिक, लैंगिक समानता, नागरिक जिम्मेदारियां और LGBTQ+ अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर बात करते हैं।
IT प्रोफेशनल से ड्रैग क्वीन तक का सफर
32 वर्षीय पतरूनी सास्त्री एक आईटी प्रोफेशनल हैं। वह 2018 से ड्रैग क्वीन के रूप में परफॉर्म कर रहे हैं। इसी दौरान नॉन-बाइनरी ट्रांस बायसेक्शुअल के रूप में उन्होंने अपनी लैंगिक पहचान को जाहिर किया था। मंच पर वे “सास” के नाम से जाने जाते हैं।
सास्त्री बताते हैं, “ड्रैग एक ऐसा आर्ट फॉर्म है, जिसमें अलग-अलग लिंग की वेशभूषा, गहने और मेकअप के साथ प्रदर्शन किया जाता है।” सास्त्री की परफॉर्मेंस का मुख्य फोकस समाज में नागरिक कर्तव्य और LGBTQ+ समुदाय से जुड़े मुद्दे होते हैं। उनका कहना है कि ड्रैग ने उन्हें खुद को पूरी तरह से आजादी, सहजता और सुकून महसूस करने का अवसर दिया है। ड्रैग आर्ट के साथ ही वो ऑफ-स्टेज एक पारिवारिक व्यक्ति हैं, जो अपनी पत्नी और एक साल के बेटे के साथ एक सामान्य जीवन जीते हैं।
भुवनेश्वर से हैदराबाद तक का सफर
खेमाया निकनेम से मशहूर आर्यन पात्रा ओडिशा की पहली ट्रांस ड्रैग आर्टिस्ट हैं। भुवनेश्वर की सड़कों पर भीख मांगने से लेकर हैदराबाद के ड्रैग समुदाय में अपनी जगह बनाने तक का उनका सफर प्रेरणादायक है। खेमाया बताती हैं, “मैंने 14 साल की उम्र में अपने गांव को छोड़ दिया और भुवनेश्वर में ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ रहने लगी। वहीं से मैंने ड्रैग आर्ट को अपनाया।”
खेमाया ने 100 से अधिक शो किए हैं। इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों और उनकी समस्याओं जैसे आरक्षण और रोजगार पर जागरूकता फैलाना है।
ड्रैग आर्ट अब भी शुरुआती दौर में
दोनों ड्रैग आर्टिस्ट के मुताबिक, हैदराबाद में ड्रैग सीन (ड्रैग परफॉर्मिंग आर्ट) अभी नया है और यहां केवल छह सक्रिय परफॉर्मर हैं। मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में ड्रैग को बड़े पैमाने पर स्वीकार्यता मिल चुकी है। इस मामले में हैदराबाद को अभी और समय लगेगा। सास्त्री और खेमाया जैसे कलाकार अपने प्रदर्शन के जरिए इस कला को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन यह भारतीय कला के रूप में बड़े पैमाने पर पहचानी जाएगी।
क्या होता है ड्रैग आर्ट
ड्रैग आर्ट एक परफॉर्मिंग आर्ट है। इसमें कलाकार पारंपरिक जेंडर पहचान और अभिव्यक्ति को चुनौती देने के लिए अलग लिंग के कपड़े, मेकअप, विग और अन्य एक्सेसरीज पहनकर प्रदर्शन करते हैं। ड्रैग आर्ट में कलाकार, जिन्हें अक्सर ड्रैग क्वीन (स्त्री रूप धारण करने वाले पुरुष) या ड्रैग किंग (पुरुष रूप धारण करने वाली महिलाएं) कहा जाता है, अपने लुक और प्रदर्शन के जरिए सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उजागर करते हैं। जैसे लैंगिक विषमताएं, जेंडर आइडेंटिटी, राजनीति, और LGBTQ+ के अधिकार। ड्रैग आर्ट आमतौर पर लाइव परफॉर्मेंस (जैसे- स्टेज शो, म्यूजिक परफॉर्मेंस, स्टैंडअप कॉमेडी और डांस) के रूप में प्रस्तुत की जाती है। यह कला मनोरंजन का माध्यम होने के साथ-साथ जेंडर की पारंपरिक धारणाओं को तोड़ने और समाज में समानता और स्वीकृति के लिए जागरूकता फैलाने का भी एक महत्वपूर्ण साधन है।
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