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लता जी के निधन का अजब संयोग : ‘ऐ मेरे वतन के लोगों…’ इसे लिखने वाले कवि प्रदीप का आज ही के दिन हुआ था जन्म, जानें कैसे हुई थी इस अद्भुत संगीत की रचना

भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हो गया है। उन्होंने आज सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना जब भी बजता है तो कानों में स्वर कोकिला लता मंगेशकर की अद्भुत आवाज मंत्रमुग्ध कर देती है। इस गाने के बोल लिखने वाले कवि प्रदीप का आज जन्मदिन है और आज ही के दिन इसे आवाज देने वाली अमर गायिका लता मंगेशकर हमारे बीच से चलीं गईं।

कवि प्रदीप ने लिखा था ये गाना

‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ के बोल लिखने वाले कवि प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को हुआ था और 11 दिसंबर 1998 को उनका निधन हो गया था। कवि प्रदीप एक भारतीय कवि और गीतकार थे। वो अपने देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” के लिए जाने जाते हैं। ये गाना उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के रूप में लिखा गया था, जो भारत-चीन युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

इसे आवाज देने से कर दिया था इनकार

इस गाने को अपनी आवाज देने के लिए बरसों पहले लता मंगेशकर ने मना कर दिया था। क्योंकि वह रिहर्सल के लिए वक्त नहीं निकाल पा रही थीं। कवि प्रदीप ने किसी तरह उन्हें इसे गाने के लिए मना लिया।

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आशा भोसले के साथ गाने वालीं थीं ये गाना

लता दीदी इसे अपनी बहन आशा भोसले के साथ गाना चाहती थीं। दोनों साथ में इसकी रिहर्सल कर भी चुकी थीं। मगर इसे गाने के लिए दिल्ली जाने से एक दिन पहले आशा ने जाने से इनकार कर दिया। तब लता मंगेशकर ने अकेले ही इस गीत को आवाज दी और यह अमर हो गया।

ये गाना सुन रो पड़े थे जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू के बारे में मशहूर था कि वो न तो कभी सार्वजनिक तौर पर रोते थे और न ही किसी दूसरे का इस तरह रोना पसंद करते थे। लेकिन 27 जनवरी, 1963 को जब लता मंगेशकर ने कवि प्रदीप का लिखा गाना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया तो वो अपने आंसू नहीं रोक पाए।

इसके बाद फौरन ही इस गाने के मास्टर टेप को विविध भारती के स्टेशन पहुंचाया गया और रिकॉर्ड समय में एचएमवी उसका रिकार्ड बनवा बाजार में ले आई। देखते देखते ये गाना एक तरह का ‘नैशनल रेज’बन गया।

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