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कैकेयी ही थीं जिन्होंने राम को जीवन, सत्य और कर्तव्य के भावों से परिपूर्ण किया

अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा को उनके उपन्यास ‘रामराज्य’ के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा अखिल भारतीय राजा वीर सिंह देव पुरस्कार से अलंकृत किया गया। यह पुस्तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन-दर्शन पर आधारित है। उन्होंने अपनी विशिष्ट लेखन शैली में उन प्रसंगों की व्याख्या की है जो आमजन के मस्तिष्क में उमड़ते-घुमड़ते रहे हैं। पुस्तक में राम और कैकेयी के बीच हुए संवादों से जरिए बताया गया है कि राम की मां तो कौशल्या थीं लेकिन कैकेयी ने राम को जीवन, सत्य, कर्तव्य के भावों से परिपूर्ण किया। इस तरह राणा, कैकेयी का अलग ही रूप पाठकों के सामने प्रस्तुत करते हैं। इसी तरह सुपर्णा-शूर्पणखा को भी खलनायिका की छवि से बाहर निकालने का प्रयास किया गया है, क्योंकि वे रावण के मोक्ष का कारण बनती हैं। ऐसे अन्य प्रसंगों को भी इसमें पढ़ा जा सकता है।

यह पुरस्कार सुख का प्रतीक है : आशुतोष राणा ने अलंकरण मिलने पर कहा कि मप्र मेरी माृतभूमि है और जीवन में चाहे जितने पुरस्कार मिलते रहें वे आपके जीवन में सफलता का प्रतीक होते हैं, लेकिन अपने प्रदेश से मिला पुरस्कार सुख का प्रतीक होता है, जिसके लिए मैं मप्र साहित्य अकादमी को धन्यवाद देता हूं।

हर लिखने वाला खुद को साहित्यकार समझता है

आशुतोष राणा ने कहा कि साहित्य की गरिमा तभी है जबकि उसे साहित्य प्रेमी पढ़ें और जब पढ़ने वाले पैदा होते हैं, तो लिखने वाले अपने आप जागृत होते हैं। आज सबसे बड़ा संकट यह है कि भारतीय भाषाओं में लिखा जाने वाला पढ़ने वाले कम हैं, इसलिए लिखने वालों का संकट आ गया है। लिखने वाले में और साहित्यकार होने में अंतर होता है। हर व्यक्ति जो लिख लेता है, वो कहीं न कहीं खुद को साहित्यकार की श्रेणी में रख लेता है, लेकिन मेरा मानना है कि शब्दकोश और साहित्य में अंतर होता है। शब्दकोश के किसी रचनाकार का नाम स्मरण में नहीं आता लेकिन एक रचना जो हमें छू गई हो तो उससे साहित्यकार का नाम हम जीवन भर याद रखते हैं। शब्दकोश में शब्दों का अर्थ होता है और साहित्य में उसका भाव होता है। अदाकारी के अलावा आशुतोष राणा इन दिनों अपने यूट्यूब चैनल पर आध्यात्मिक चर्चा करते हुए भी सुने जा सकते हैं। रामराज्य उनकी बेस्ट सेलिंग किताब है।

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