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जॉगिंग हार्ट के लिए अच्छी, पर क्रोधी एवं आक्रामक बना सकती है

दस हजार लोगों के डाटा के आधार पर अमेरिकी रिसर्चर्स ने किया दावा, बार-बार एक जैसी एक्टिविटी फ्रस्ट्रेट करती है

न्यूयॉर्क। हल्की दौड़ से भी शरीर में जितनी कैलोरी बर्न होती है और जितना एंडोर्फिन उत्सर्जित होता है, वह स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जॉगिंग करने से लोग क्रोधी एवं अधिक आक्रामक हो सकते हैं। क्योंकि यह बार-बार करने और बोर करने वाली प्रक्रिया है। अमेरिकी रिसर्चर्स ने दस हजार लोगों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है। उनका कहना है कि दौड़ में रुचि रखने वाले लोग यदि यह चाहते हैं कि वे ज्यादा क्रोधी न हों तो इसके लिए उन्हें योगा और एरोबिक्स करना चाहिए।

इस अध्ययन की अगुवाई करने वाले ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के डॉ. सोफी जार्विक का कहना है कि अभी तक हम यही समझते थे कि जॉगिंग नहीं बल्कि बॉक्सिंग जैसी गतिविधियों से क्रोध बढ़ता है। यह आम धारणा है कि दौड़ने से गुस्सा एवं आक्रामकता कम होती है। लेकिन यह धारणा सच नहीं है। दौड़ना हार्ट के लिए भले ही अच्छा हो लेकिन क्रोध पर नियंत्रण के लिए यह उपाय कोई काम नहीं करता है। इसका कारण संभवत: यह हो सकता है कि इस गतिविधि में मूवमेंट्स को बार-बार दोहराया जाता है। एक ही तरह का कार्य करने से बोरियत या फ्रस्ट्रेशन महसूस होता है।

दुनियाभर के 154 अध्ययनों का किया गया विश्लेषण

इस अध्ययन में रिसर्चर्स ने स्पोर्टिंग एवं रीक्रिएशनल गतिविधियों तथा क्रोध प्रबंधन से उसके संबंध के बारे में दुनियाभर में किए गए अध्ययनों के डाटा का विश्लेषण किया। अध्ययन में 10,189 पुरुषों एवं महिलाओं पर किए गए 154 अध्ययनों के विश्लेषण को शामिल किया गया। इसके तहत किकबॉक्सिंग, बैग को पंच करना तथा शूटिंग से लेकर साइकिल चलाने, तैरने व योगा जैसी गतिविधियां शामिल थीं। एक प्रश्नावली से गुस्से जैसे स्वभावों के स्तर का पता लगाया गया।

बॉल गेम्स, एरोबिक से मन होता है शांत

क्लीनिकल साइकोलॉजी रिव्यू में रिसर्चर्स ने लिखा है कि जॉगिंग एवं सीढ़ी चढ़ने जैसी गतिविधियों से जहां गुस्सा बढ़ता है, वहीं बॉल गेम्स एवं एरोबिक से मन को शांत करने वाला प्रभाव पैदा होता है। योग, ध्यान एवं इसी तरह की अन्य गतिविधियां भी चित्त को शांत करने वाली होती हैं। क्योंकि इनसे शारीरिक उत्तेजना कम हो जाती है। शरीर में उत्तेजना का स्तर अधिक होने पर करो या मरो की भावना उत्पन्न होती है जोकि तनाव एवं क्रोध का स्तर बढ़ा देते हैं।

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