अंतर्राष्ट्रीयताजा खबर

VIDEO : Chandrayaan 3 के बाद अब जापान का मून मिशन, JAXA ने चांद पर लैंडर मिशन SLIM की सफल लॉन्चिंग की

टोक्योजापान की स्पेस एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने गुरुवार सुबह अपना पहले चंद्र मिशन को लॉन्च किया। मून मिशन स्नाइपर लैंडर के साथ H-IIA रॉकेट तनेगाशिमा स्पेस सेंटर से स्थानीय समयानुसार सुबह 8 बजकर 42 मिनट पर लॉन्च किया। इसके अलावा एक्स-रे दूरबीन ले जाना वाला को भी रॉकेट प्रक्षेपित किया है, जो ब्रह्मांड की उत्पति का पता लगाएगा।

जापान ने मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद कहा- एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (XRISM), और स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) को 7 सितंबर 2023 की सुबह 8:42:11 पर व्हीकल नंबर 47 (H-IIA F47) से तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया।

ISRO ने ट्वीट कर दी बधाई

भारतीय अंतिरक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने ट्वीट कर लिखा- चंद्रमा पर जापान के मिशन की सफल लॉन्चिंग पर हार्दिक बधाई। यह वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय के लिए गर्व का क्षण है। हम पूरी स्पेस कम्यूनिटी को बधाई देते हैं।

SLIM की खासियत

स्लिम की लैंडिंग उसके तय स्थान के 100 मीटर के दायरे में ही होगी। इस लैंडर का वजन 200 किलोग्राम है। लंबाई 2.4 मीटर और चौड़ाई 2.7 मीटर है। इसमें रडार, लेजर रेंज फाइंडर और विजन बेस्ड नेविगेशन सिस्टम हैं। ये इक्विपमेंट्स एक्युरेट लैंडिंग में मदद करेंगे। यह मिशन 831 करोड़ रुपए से ज्यादा का है।

कहां होगी लैंडिंग ?

जापान का SLIM लैंडर चांद के नीयर साइड यानी उस हिस्से में उतरेगा जो हमें अपनी आंखों से दिखाई देता है। संभावित लैंडिंग साइट मेयर नेक्टारिस (Mare Nectaris) है। जिसे चांद का समुद्र कहा जाता है। यह चांद पर सबसे ज्यादा अंधेरे वाला धब्बा कहा जाता है। जापानी स्पेस एजेंसी के प्रेसिडेंट हिरोशी यामाकावा ने कहा कि स्लिम को इस हिसाब से भेजा जा रहा है, उसके ईंधन को ज्यादा से ज्यादा बचाया जा सके। यह मिशन चांद की सतह पर अगले साल फरवरी महीने में लैंड करेगा। मकसद सटीकता वाली लैंडिंग है। यानी जहां हम चाहते हैं, वहीं पर लैंड हो। बल्कि ये नहीं कि कहां हम कर सकते हैं।

स्लिम को मौसम बेहतर होते ही लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।

जाक्सा ने इससे पहले इस प्रक्षेपण को 26 अगस्त के लिए निर्धारित किया था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे दो बार स्थगित करना पड़ा था। जापान के लैंडर के तीन-चार महीने में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने और चार-छह महीने में उसकी स्तर पर उतरने की संभावना है। मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज चंद्र मॉड्यूल विकसित करने के लिए जॉक्सा के साथ काम कर रही है ताकि लैंडिंग कराने की योजना सफल रहे। यदि लैंडिंग सफल रही, तो इस अभियान के डेटा का उपयोग चंद्रमा और मंगल मिशन की अमेरिका के आर्टेमिस के लिए तैयारियों में किया जाएगा।

ये भी पढ़ें- चंद्रयान-3 के काउंटडाउन को आवाज देने वाली साइंटिस्ट का निधन, भारत के पहले रडार सैटेलाइट की प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रहीं वलारमथी

संबंधित खबरें...

Back to top button