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Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में नए राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन तेज, कोलंबो में विरोध कर रहे लोगों को हटाने पहुंची सेना… उखाड़े टेंट

आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद भी बड़ी तादात में प्रदर्शनकारी अपने घर नहीं लौटे हैं। विक्रमसिंघे को गोटबाया का मोहरा बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन और तेज कर दिया है। हालांकि विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद अब प्रदर्शनकारियों पर सख्त एक्शन भी शुरू हो चुका है। पिछले 105 दिन से राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे श्रीलंका के लोगों को हटाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

प्रदर्शनकारियों का आरोप: राजपक्षे परिवार के करीबी हैं विक्रमसिंघे

आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन जारी है, यहां लोगों ने पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। जिसके बाद अब रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना गया है। लेकिन लोग अब विक्रमसिंघे के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं, उनका आरोप है कि वो राजपक्षे परिवार के करीबी हैं।

प्रदर्शनकारियों ने राजधानी में ही अस्थाई तंबू बना लिए जिनमें वह रहते हैं। लेकिन सशस्त्र बलों द्वारा कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर और गाले फेस पर जमा हुए प्रदर्शनकारियों के तंबुओं का हटाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों के सामने आ गए और सुरक्षा कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई।

राजपक्षे कुनबे ने विक्रमसिंघे के साथ की है डील!

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राजपक्षे परिवार ने अपने मोहरे के रूप में विक्रमसिंघे को गद्दी पर बैठाया है। इससे हालात नहीं बदलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अपनी गद्दी को बचाने के लिए राजपक्षे कुनबे ने विक्रमसिंघे के साथ डील की है। ये लोगों के साथ धोखा है।

देश को घटिया राजनीति से मुक्त कराना चाहते हैं

सशस्त्र बलों की कार्रवाई के बीच एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे हमें खत्म करना चाहते हैं लेकिन हम कभी हार नहीं मानेंगे। हम अपने देश को ऐसी घिनौनी राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं।

रानिल इतने मतों से बने राष्ट्रपति

श्रीलंका की 225 सदस्यों वाली संसद में रानिल विक्रमसिंघे के पक्ष में 134 वोट पड़े। वहीं उनके विरोधी दुल्लास अलहप्परुमा को 82, वामपंथी नेता अनुरा कुमार दिसनायके को मात्र 3 वोट मिले।

जानिए श्रीलंका संकट में अब तक क्या-क्या हुआ?

15 मार्च 2022 : राजपक्षे परिवार के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने विद्रोह शुरू कर दिया था। जिसके बाद सरकार ने खाद्य वस्तुओं पर इमरजेंसी लगा दिया।

2 अप्रैल 2022 : राष्ट्रपति आवास के बाहर हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया। जिसे 5 दिन बाद वापस ले लिया गया।

4 अप्रैल 2022 : बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए 26 मंत्रियों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया था।

6 मई 2022 : विरोध प्रदर्शन उग्र होने लगा। जगह-जगह पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प होने लगी। जिसके बाद दोबारा आपतकाल लगाया गया।

9 मई 2022 : महिंद्रा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद रानिल विक्रमसिंघे नए प्रधानमंत्री बनाए गए।

5 जुलाई 2022 : प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे द्वारा श्रीलंका के दिवालिया होने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी फिर उग्र हो गए।

9-10 जुलाई 2022 : हजारों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति आवास में घुस गए। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया भाग खड़े हुए।प्रदर्शनकारियों ने लगाई पीएम के घर में आग। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा- वह भी इस्तीफा देने को तैयार हैं। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने से कहा कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे।

11 जुलाई 2022 : 15 जुलाई को संसद के नए सत्र और 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान किया गया।

12 जुलाई 2022 : विपक्षी पार्टी SJB के प्रमुख सजित प्रेमदासा श्रीलंका के अंतरिस राष्ट्रपति बनाए गए।

13 जुलाई 2022 : प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। उग्र प्रदर्शनों को देखते हुए इमरजेंसी लगा दी गई।

14 जुलाई 2022 : राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे मालदीव छोड़ सिंगापुर पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी और दो बॉडीगार्ड भी थे।

15 जुलाई 2022 : प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कार्यकारी राष्ट्रपति के तौर पर पद संभाला।

20 जुलाई 2022 : श्रीलंका की पार्लियामेंट ने पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना।

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