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मांओं ने बेटी के साथ मिलकर शुरू किए अपने स्टार्ट-अप, होममेकर से बनीं बिजनेस वूमन

मदर्स डे आज : 45 पार मदर्स ने शुरू किए अपने काम, जिसमें अब बेटियां भी निभा रहीं साथ

 दुनिया के तमाम रिश्तों में भले ही उतार-चढ़ाव या समय के साथ बदलाव आ जाएं लेकिन मां-बच्चे का नाता कभी नहीं बदलता। खुशी व्यक्त करने के लिए भले ही कई शब्द मिल जाएं लेकिन चोट या गम मिलने पर ओह मां ही मुंह से निकलता है। वहीं मां-बेटी का रिश्ता तो सबसे अनमोल होता है, दोनों एक वक्त के बाद सहेली बन जाती हैं। मां अपनी बेटी की वजह से तो बेटी अपनी मां की वजह से अपने सपनों को पूरा कर पाती है। शहर में कुछ ऐसी ही मांए हैं, जिन्होंने उम्र के एक पड़ाव के बाद उन सपनों को पूरा करने की ठानी, जो वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पूरे नहीं कर सकीं। इन सपनों को पूरा करने में बेटियों ने भरपूर साथ निभाया तो वहीं कुछ मांए ऐसी हैं, जिन्होंने बेटी के लिए स्टार्ट-अप प्लान किए ताकि वे मां की खातिर अपना कॅरियर कुर्बान न करें। मदर्स डे के मौके पर ऐसी कहानियां मां की जुबानी, जिसमें वे अपने शुरू किए काम का श्रेय खुद से ज्यादा बेटियों को देती हैं।

मां के इंटीरियर बिजनेस को मिला बेटियों का साथ

दो साल पहले मैंने अपने एक पार्टनर के साथ इंटीरियर मटेरियल सप्लाई का काम शुरू किया लेकिन पार्टनरशिप टूट गई। अकेले, मैं यह काम जारी रखने में मुश्किल महसूस कर रही थी लेकिन मेरी बेटी ईशा और सृष्टि ने कहा, मां आप अपने ड्रीम को पूरा करों क्योंकि वो जानती थी कि मैं बचपन से ही इंटीरियर डिजाइनर बनना चाहती थी लेकिन पैरेंट्स ने पढ़ने बाहर नहीं जाने दिया। जब बच्चियां बड़ी हो गर्इं तो मैंने अपने सपने को पूरा करने की सोची लेकिन फिर यह मुश्किल मेरे सामने थी। हमारा कोलार में वेयरहाउस है, जिसमें हम बहुत बड़े स्तर पर काम करते हैं, दोनों बेटियों ने मुझे जॉइन किया और वे पब्लिसिटी के लिए डिजिटल मार्केटिंग हैंडल करती हैं और साथ में देशभर में होने वाली इंटीरियर एग्जीबिशन में हम साथ जाते हैं। अब यह हम तीनों का बिजनेस हैं, जिसे साथ में मिलकर ग्रो कर रहे हैं। हम तीनों ने अपने काम बांट रखे हैं और हर दिन हम साथ में मीटिंग्स करके भोपाल में नई-नई चीजें लाने की प्लानिंग करते हैं। -रेणुका वर्मा, इंटीरियर इनसाइट

मां ने शुरू की नर्सरी, नेक्स्ट लेवल पर लेकर गई बेटी

कुछ साल पहले उपवनम नर्सरी को शुरू किया तब मैंने सोचा नहीं था कि एक दिन मेरी बेटी प्रज्ञा इसे नेक्स्ट लेवल पर ले जाएगी। लेकिन वो मेरा डेडिकेशन देख रही थी, पिछले एक साल में उसे महसूस हुआ कि मम्मी के साथ इस काम को नेक्स्ट लेवल पर लेकर जाना चाहिए। मेरे पास बागवानी की एक्सपर्टीज है तो सोचा कि इस स्पेस के साथ कुछ नया किया जाए, तो प्रज्ञा ने कहा कि कुछ ऐसा जिससे लोग यहां सिर्फ पौधे लेने नहीं बल्कि इस जगह को फील करने के लिए आएं। फिर हमने इसी जगह उपवनम गार्डन फ्रंट की शुरुआत की, जिसमें सस्टेनेबल मैरिज का कॉन्सेप्ट रखा। 100 से 200 लोगों की गैदरिंग वाली शादी में हम यहां सारा इंटीरियर इको- फ्रेंडली रखने का प्रयास करते हैं। नर्सरी के पॉट्स व हरियाली का इस्तेमाल करके डेकोरेशन करते हैं। कोशिश करते हैं कि कम से कम प्लास्टिक वेस्ट निकले। – ममता मिश्रा, उपवनम नर्सरी

मां-बेटी चला रहीं क्लाउड किचन, दादी-नानी के रेसिपी करती हैं सर्व

दो साल पहले मेरी बेटी बतौर फाइनेंशियल एनालिस्ट इंदौर में जॉब कर रही थी। मेरे पति 16 साल पहले गुजर गए थे, तो बच्चे अपनी मां के लिए ज्यादा प्रोटेक्टिव हो गए थे। मेरी बेटी नताशा और बेटा जब बाहर जॉब के लिए चले गए तो मैं अकेली रह गई और कई सारे हेल्थ इश्यूज आ गए। नताशा सब कुछ छोड़कर वापस आ गई और मेरी देखरेख में लग गई लेकिन मुझे लगता था कि मेरी वजह से उनका कॅरियर खराब हो रहा है, पर उसने कभी कुछ नहीं कहा। एक दिन उसने कहा कि हम दोनों को कुकिंग का शौक है तो क्यों न क्लाउड किचन प्लान करें। मैंने कहा, जरूर मैं घर से सब कुछ तुम्हारे लिए कर सकती हूं। हमने घर के फर्स्ट μलोर पर किचन बनाया और दादी-नानी वाली रेसिपी लोगों को इवेंट्स में सर्व करना शुरू की। आॅर्डर्स आने लगे और काम बढ़ने लगा, अब यह हमारा रजिस्टर्ड स्टार्ट-अप है, जिसमें हम पूरे भोपाल में फूड डिलेवरी पार्टनर के साथ काम करते हैं। हम होममेड कुजिन्स और स्पेशल आॅर्डर पर एग्जॉटिक कुजिन्स तैयार करते हैं। – सुषमा श्रीवास्तव, द हैंडपिक्ड टेल

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