
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत के धीमे होते आर्थिक विकास और उपभोग के पैटर्न को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) केवल 6.4 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो पिछले 4 सालों की सबसे धीमी दर है। रघुराम राजन ने कहा भारत में उपभोग मांग, खासकर मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग में, तेजी से नहीं बढ़ रही है। जबकि उच्च वर्ग में खर्च बढ़ रहा है, निम्न वर्ग रोजगार की कमी के कारण आर्थिक दबाव महसूस कर रहा है।
देश की विकास दर जरूरत के लिहाज से पर्याप्त नहीं
उन्होंने यह भी कहा भारत की वर्तमान विकास दर देश की जरूरत के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। भारत की जनसंख्या लाभांश का पूरा लाभ उठाने के लिए विकास दर को 6 फीसदी से अधिक होना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल सरकार के प्रयासों पर निर्भर रहना सही नहीं होगा, निजी क्षेत्र को भी आगे आना होगा। भारत में शहरी क्षेत्रों में पिछले पांच तिमाहियों से मांग में गिरावट देखी जा रही है। मध्यम और निम्न वर्ग की आय में कमी और बढ़ती महंगाई ने साबुन, शैम्पू से लेकर गाड़ियों तक की मांग पर असर डाला है। विश्लेषकों के अनुसार, इस बार त्योहारों के दौरान खपत की वृद्धि दर 15 फीसदी रही, जो 2023 में 32 फीसदी और 2022 में 88 फीसदी थी। इससे पता चलता है कि उपभोक्ता खर्च धीमा हो रहा है।
आगामी बजट से मध्यम वर्ग को राहत को उम्मीद
आगामी बजट 2025 से अपेक्षा की जा रही है कि यह मध्यम वर्ग को राहत देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि कर में कटौती से लोगों की जेब में ज्यादा पैसा आएगा, जिससे उपभोग में बढ़ोतरी होगी। उद्योग जगत ने भी सुझाव दिया है कि होम लोन, गाड़ी खरीद और अन्य टिकाऊ वस्तुओं पर कर छूट दी जाए। इससे न केवल उपभोग बढ़ेगा, बल्कि निवेश और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। इस प्रकार, बजट 2025 से उम्मीद है कि यह देश की उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करेगा और मध्यम वर्ग की चिंताओं को दूर करेगा।
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