
नई दिल्ली। आम आमदी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने रविवार को एक बार फिर भाजपा और एलजी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक, तिहाड़ जेल में सीएम अरविंद केजरीवाल का स्वास्थ्य खराब करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने रविवार को प्रेस वार्ता में कहा कि, “सीएम अरविंद केजरीवाल के स्वास्थ्य की उपेक्षा केंद्र सरकार, बीजेपी और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना की उन्हें मारने की साजिश है।”
CM केजरीवाल को जान से मारने की साजिश : AAP
आप सांसद संजय सिंह ने रविवार को जेल में बंद CM केजरीवाल की सेहत को लेकर एक प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि- BJP, केंद्र सरकार और दिल्ली के LG केजरीवाल की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। जेल में उन्हें जान से मारने की साजिश रची जा रही है।
पहले BJP, LG और जेल प्रशासन ने कहा था कि, अरविंद केजरीवाल जान-बूझकर अपनी Sugar बढ़ा रहे हैं। वह मिठाई खा रहे हैं। इन लोगों ने उन्हें Insulin तक नहीं दी, वो तो कोर्ट के आदेश पर insulin दी गई। अब कह रहे हैं कि केजरीवाल जी कुछ खा ही नहीं रहे हैं। वह insulin ले ही नहीं रहे हैं। आपने क्या मजाक लगा रखा है? क्या कोई व्यक्ति खुद ही अपनी सेहत से खिलवाड़ करेगा?
AAP बोली- यह हत्या के प्रयास का मामला!
अरविंद केजरीवाल जी का Sugar level कई बार 50 के नीचे पहुंच गया था। यह रिपोर्ट किसी और ने नहीं बल्कि BJP के जेल प्रशासन के डॉक्टर द्वारा ही उपलब्ध कराई गई है। BJP के LG और जेल प्रशासन बार-बार CM केजरीवाल की तबीयत को लेकर झूठ बोल रहे हैं। यह हत्या के प्रयास का मामला भी हो सकता है। हम इस साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास मामले में मुकदमा भी दर्ज करा सकते हैं। BJP, LG और केंद्र सरकार केजरीवाल को जान से मारने की साजिश रच रहे हैं और इसलिए ही उन्हें जमानत मिलने के बाद भी एक फर्जी मामला बनाकर जेल में कैद करके रखा गया है।
LG सक्सेना ने मुख्य सचिव को लिखी थी चिट्ठी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मार्च महीने से ही दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। जहां उनके स्वास्थ्य को लेकर लगातार सियासत जारी है। एक तरफ आप का कहना है कि, केजरीवाल का शुगर लेवल लगातार गिर रहा है। जिसकी वजह से उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आ सकता है। वहीं दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने चिट्ठी लिखकर मुख्य सचिव को पता लगाने को कहा था कि मुख्यमंत्री दवा क्यों नहीं ले रहे हैं?
इसपर आतिशी ने कहा- LG साहब जो संवैधानिक पद पर बैठे हैं, उन्हें ऐसी चिट्ठी लिखना शोभा नहीं देता है। अरविंद केजरीवाल को पिछले 30 सालों से शुगर की बीमारी है, यह बात उन्हें भी पता है। शुगर लेवल खतरनाक स्तर तक गिर जाने पर किडनी डैमेज हो सकती है, ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। ऐसे में कोई जानबूझकर अपनी जान जोखिम में डालेगा?
21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल
ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें शुक्रवार (22 मार्च) को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया और पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड मांगी, लेकिन कोर्ट ने छह दिन की रिमांड दी। 28 मार्च को केजरीवाल की रिमांड अवधि खत्म हुई, जो बाद में 1 अप्रैल तक बढ़ा दी गई। कोर्ट ने केजरीवाल को 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक के लिए ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा था। जिसके बाद फिर से राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ा दी थी। केजरीवाल को तिहाड़ जेल में 2 नंबर बैरक में रखा गया है।
पहली बार किसी सीएम की हुई गिरफ्तारी
यह पहला ऐसा मामला है जब किसी मुख्यमंत्री को पद पर रहते हुए ही गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले जो भी सीएम किसी आरोप के कारण जांच या फिर गिरफ्तारी के दायरे में आए थे, उन्होंने अपने पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को ED ने गिरफ्तार किया था। सोरेन ने ED की हिरासत में राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है पूरा मामला ?
दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।
नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।
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