भोपालमध्य प्रदेश

जिले में कोरोना का फर्स्ट डोज कंपलीट : अपना दुख-दर्द भूले, 162 दिन में 19.49 लाख आबादी को फर्स्ट डोज लगाकर निभाया फर्ज

कोरोना योद्धा अपना दर्द भूलकर वैक्सीनेशन में जुटे रहे। जो कोरोना योद्धा तमाम चुनौतियों के बावजूद वैक्सीनेशन कार्य में जुटे रहे, पढ़िए उनमें से कुछ के जज्बे की कहानी।

भोपाल। भोपाल जिले में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 19.49 लाख लोगों के वैक्सीनेशन का टारगेट पूरा हो गया है। यही नहीं, 55 फीसदी आबादी को दूसरा डोज लगाकर फुली वैक्सीनेटेड भी किया जा चुका है। इस वायरस के गंभीर संक्रमण से बचाने के लिए 16 जनवरी
से वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। जिले में फर्स्ट डोज का टारगेट पूरा करने में 162 दिन लगे। इसके लिए स्वास्थ्यकर्मियों ने अपना दुख-दर्द भुलाकर रात-दिन मेहनत की।

किसी स्वास्थ्य कर्मी के पति की मौत हुई, तो किसी की मां तो किसी के पिता चल बसे। खुद को तसल्ली देने और परिजनों को सांत्वना देकर ये कोरोना योद्धा अपना दर्द भूलकर वैक्सीनेशन में जुटे रहे। जो कोरोना योद्धा तमाम चुनौतियों के बावजूद वैक्सीनेशन कार्य में जुटे रहे, पढ़िए उनमें से कुछ के जज्बे की कहानी।

सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ डाटा एंट्री ऑपरेटर इरफान खान कोरोना संकट के शुरुआती दौर से डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रहे हैं। जनवरी से शुरू वैक्सीनेशन में भी उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई। मार्च में एक मीटिंग में जाते वक्त एक्सीडेंट में उनके एक हाथ में फ्रैक्चर हो गया। जेपी अस्पताल में प्लास्टर चढ़वा कर दो घंटे बाद ही उन्होंने ऑफिस में एक हाथ से काम शुरू कर दिया। इरफान कहते हैं, ये परीक्षा का
समय था, चोट का बहाना बनाकर घर बैठ जाते तो बहुत सा काम पिछड़ जाता।

वैक्सीन परिवहन में लगे थे, बीमार होने पर आईसीयू में भर्ती करना पड़ा, बाहर आते ही काम में जुटे

भोपाल जिले में वैक्सीन वाहन चलाने वाले इकलौते ड्राइवर इसरार खान को मई में डायरिया हो गया था। हालत बिगड़ी तो उन्हें एक अस्पताल के आईसीयू में एडमिट कराना पड़ा। हμते भर बाद जैसे ही तबीयत ठीक हुई और आईसीयू से बाहर आए, तो अपनी परेशानी भूलकर वह वैक्सीन वैन से डोज के ट्रांसपोर्टेशन में जुट गए। अफसर बताते हैं कि जनवरी से अब तक दिन-रात इकलौते ड्राइवर होने के कारण वे बिना
रुके ड्यूटी कर रहे हैं।

भाई की मौत हो गई थी, फिर भी ऑफिस पहुंचकर सुधारी मशीन

जिले भर में वैक्सीन को स्टोर करने वाले कोल्ड चेन इक्विपमेंट्स का मेंटेनेंस करने वाले टेक्नीशियन अजय सक्सेना के भाई की दो महीने पहले मृत्यु हो गई थी। वे घर पहुंचे ही थे कि वैक्सीन स्टोर में एक मशीन खराब होने की सूचना मिली। अजय परिवार और खुद के दुख को फर्ज के
सामने किनारे कर वैक्सीन स्टोर पहुंचें और मशीन रिपेयर की, ताकि डोज खराब न हों।

हादसों से भी नहीं डिगा हौसला

टीलाखेड़ी में पदस्थ एएनएम मनीषा का एक्सीडेंंट में एक पैर में फ्रैक्चर हो गया था। वे प्लास्टर चढ़े हुए वैक्सीनेशन करने पहुंच गईं। ललरिया में पदस्थ सीएचओ एकता पटेल का हाल ही में एक्सीडेंट में एक हाथ में फ्रैक्चर हो गया। बावजूद वह ड्यूटी पर आ रही थीं, अधिकारियों ने उन्हें बमुश्किल काम पर न आने के लिए मनाया।

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