इंदौरमध्य प्रदेश

Indore का एक और इनोवेशन : सोलर एनर्जी से घर-घर पहुंचेगा नर्मदा जल, जारी होगा पब्लिक इश्यु बॉन्ड

भोपाल डेस्क। देशभर में नवाचारों के लिए जाना जाने वाला इंदौर एक और नवाचार करने जा रहा है। इसके तहत हर घर जल पहुंचाने के लिए अब सौर ऊर्जा (Solar Energy ) का इस्तेमाल किया जाएगा। ग्रीन एनर्जी से पानी पहुंचाने से बिजली की बचत भी होगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इंदौर में नर्मदा का जल अभी परंपरागत बिजली के माध्यम से घरों में पहुंचाया जाता है। लेकिन अब हम ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए जलूद में सोलर पॉवर प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए पब्लिक बांड इश्यू किया जाएगा और इसी के जरिये ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का अद्भुत प्रयोग इंदौर ही कर सकता है।

ग्रीन एमपी की दिशा में बड़ा बदम

सीएम ने कहा कि इंदौर के लोगों को इस इनोवेशन के क्रियान्वयन में सहयोग करना होगा। हमें ‘अपना इंदौर-सदैव प्रथम’ के सम्मान को बरकरार रखना है। उन्होंने कहा कि इंदौर के हर घर में नर्मदा जल पहुंचाने के लिए जलूद पम्पिंग स्टेशन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इस स्टेशन से सौर ऊर्जा से संचालन करने के लिए इंदौर नगर निगम आईएमसी ग्रीन बॉन्ड पब्लिक इश्यू कर रहा है। ऐसी पहल करने वाला इंदौर नगर निगम देश का पहला नगरीय निकाय होगा। इससे इंदौर को कार्बन क्रेडिट मिलने में सहायता मिलेगी। सीएम ने कहा कि  कार्बन उत्सर्जन शून्य कर ग्रीन और क्लीन मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में यह पहल महत्वपूर्ण कदम है।

6 बार से देश का सबसे साफ शहर बन रहा इंदौर

इस साल इंदौर एक लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर बना। देश के 4,355 शहरों के बीच इंदौर यूं ही अव्वल नहीं आया। इसके लिए उसने तमाम प्रयास किए। इन पांच नवाचारों से इंदौर ने यह मुकाम लगातार छठवीं बार हासिल किया।

डोर टू डोर कलेक्शन : शहर में कचरा पेटियां नहीं हैं। 1,500 वाहनों के जरिये कचरा सीधे घरों से निकलकर कचरा ट्रांसफर स्टेशनों तक पहुंचता है। दूसरे शहर शत-प्रतिशत यह काम अभी तक नहीं कर पाए हैं।

वेस्ट सेग्रीगेशन : गाड़ियों तक पहुंचने वाला कचरा घरों से ही अलग-अलग हो जाता है। गीले, सूखे के अलावा प्लास्टिक, सेनेटरी वेस्ट, इलेक्ट्रिक और घरेलू हानिकारक कचरे को अलग-अलग बॉक्स में डाला जाता है। दूसरे शहरों में अभी भी मिक्स कचरा आ रहा है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट : नदी व नालों के किनारे 3 साल में 7 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बने। सीवरेज के ट्रीट हुए पानी के उपयोग के लिए टंकियों का निर्माण करवाया। 125 गार्डन्स में ट्रीटेड पानी पाइप से पहुंचाया जाता है।

कचरे से कमाई : नगर निगम को सूखे कचरे के सेग्रीगेशन प्लांट से हर साल 1.53 करोड़ रुपए, गीले कचरे से बायो सीएनजी के प्लांट से हर साल 2.53 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। बायो सीएनजी प्लांट से बाजार मूल्य से 5 रुपए कम कीमत पर मिलने वाली सीएनजी से सालभर में डेढ़ से 2 करोड़ रुपए की बचत हो रही है। गाद से भी खाद बनाने का काम हो रहा है।

थ्री आर मॉडल : निगम ने रिसायकल, रियूज व रिड्यूस मॉडल को शहर में लागू किया है। 1,000 से ज्यादा बैकलेन में सीमेंटीकरण, सफाई कर उनमें पेंटिंग बनवाई। बेकार की चीजों से कलाकृतियां बनाई गईं। शहर में थ्री आर मॉडल पर गार्डन बनाए गए। रहवासियों को गीले कचरे से खाद बनाने के लिए प्रेरित किया।

मैनेजमेंट के साथ ये इनोवेशन

  • 10 से ज्यादा चौराहों पर फाउंटेन लगाए, जो हवा में उड़ने वाले धूल कण सोखते हैं। चौराहों के लेफ्ट-टर्न चौडीकरण, सेंट्रल डिवाइडर बनाए गए। इन पर पौधारोपण किया।
  • प्लास्टिक का उपयोग कम करने लोगों को जागरूक किया। कपड़े की थैलियों के उपयोग पर जोर दिया गया।
  • पहले सूखे कचरे में 800 किलो प्रतिदिन सिंगल यूज प्लास्टिक आता था। अब सिर्फ 200 से 300 किलो सिंगल यूज प्लास्टिक ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंच रहा है।
  • वायु प्रदूषण रोकने के लिए सिग्नल बंद होने पर वाहनों के इंजन बंद कराने का अभियान चलाया गया। मशीनों से सड़कों की सफाई और धुलाई होती है, ताकि धूल के कण सड़कों पर न रहें।कैलाश विजयवर्गीय ने हाथ जोड़कर जयंत मलैया से मांगी माफी, CM शिवराज बोले- मलैया के बिना अधूरा है दमोह

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