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दिल्ली शराब घोटाला : अब AAP MLA दुर्गेश पाठक को ED का समन, गोवा चुनाव के दौरान पार्टी इंचार्ज थे; केजरीवाल के PA से भी पूछताछ कर रही जांच एजेंसी

नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति केस से संबंधित घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अब आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक को तलब किया है। उन्हें समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है और आज ही पेश होने के निर्देश दिए हैं। CM केजरीवाल के पर्सनल असिस्टेंट बिभव कुमार से भी जांच एजेंसी ने इसी केस में पूछताछ कर रही है।

गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान आप के विधायक दुर्गेश पाठक पार्टी के इंचार्ज थे। वह राजिंदर नगर से विधायक हैं और 2012 में दिल्ली के रामलीला मैदान में आप के गठन के बाद से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं।

जेल में हैं सीएम समेत कई AAP नेता

दिल्ली शराब नीति केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वर्तमान में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक (पीए) बिभव कुमार से पूछताछ कर रही है। इसके बाद दुर्गेश पाठक को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। शराब नीति केस में ED ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को आरोपी बनाया है। ये सभी न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को एजेंसी ने गिरफ्तार किया था, जिन्हें एजेंसी कथित घोटाला केस में ‘किंगपिन’ मान रही है। इसी केस में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर छह महीने बाद जेल से बाहर आए हैं। आम आदमी पार्टी के और भी नेता इस शराब नीति से संबंधित केस में ईडी की रडार पर हैं।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।

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