
भोपाल। चाइनीज मांझा प्रतिबंधित है, लेकिन राजधानी में पतंगबाज इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। लिहाजा शहर में रोजाना लोग इस मांझे की चपेट में आने से जख्मी हो रहे है। पिछले एक पखवाड़े में राह चलते 20 से ज्यादा लोग जख्मी हो चुके हैं। ये वो लोग हैं, जो इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में पहुंचे, जबकि जख्मी होने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। रविवार को भी करोंद रेलवे ओवर ब्रिज से गुजर रहे अनुज मीना सहित आधा दर्जन लोग चाइनीज मांझे की चपेट में आने से बुरी तरह से घायल हो गए। तीन लोगों की उंगलियां और कलाई कट गई, जबकि तीन लोगों में से अनुज का होंठ बुरी तरह से कट गया था। उसे तीन टांके आए हैं। वहीं एक की ठुड्डी और दूसरे का कान कट गया।
करोंद निवासी अनवार अहमद ने बताया कि रविवार शाम को वह लिली टॉकीज चौराहे से गुजर रहे थे, तभी उनकी गर्दन में मांझा उलझ गया। उन्होंने घबराकर स्कूटर रोक ली। गनीमत रही कि हेलमेंट लगाए हुए थे और उसकी बेल्ट की वजह से मांझा गर्दन पर नहीं रगड़ सका। इससे पहले एक मार्च को सिरोंज निवासी अमित चौरसिया मांझे की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गए थे। उन्होंने बताया कि वह कलियासोत सड़क से गुजर रहे थे कि अचानक चाइनीज मांझे की चपेट में आ गए। मांझे से उनकी नाक बुरी तरह जख्मी हो गई। वहीं गाड़ी से भी गिर गए। राहगीरों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी नाक पर दो टांके आए। उनकी गर्दन भी मांझे से बुरी तरह से जख्मी हो गई थी।
वीआईपी रोड पर मांझे से बाइक सवार का चेहरा कट गया
मामला करीब दो साल पुराना है। वीआईपी रोड पर एक बाइक सवार का चेहरा चाइनीज मांझे से कट गया था। उसकी नाक और दोनों आंखों में गंभीर जख्म हो गया था। युवक बाइक से लालघाटी की तरफ जा रहा था। करबला पर उसके चेहरे पर पतंग में उड़ाने के लिए उपयोग किया जाने वाला मांझा रगड़ता हुआ निकला।
क्यों माना जाता है खतरनाक
चाइनीज मांझा सामान्य मांझे की तुलना में काफी धारदार होता है। साथ ही यह इलेक्ट्रिक कंडक्टर होता है, जिस वजह से इसे और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इलेक्ट्रिक कंडक्टर होने की वजह से चाइनीज मांझे में करंट आने का खतरा रहता है। जानकारों का कहना है कि ये मांझा आसानी से नहीं टूटता है। चाइनीज मांझे को प्लास्टिक मांझा भी कहा जाता है। यह नायलॉन और मैटेलिक पाउडर से मिलकर बनाया जाता है। नायलॉन के तार में कांच आदि लगातार इसे और भी ज्यादा धारदार बनाया जाता है। यह स्ट्रेचेबल भी होता है, इस वजह से कटता भी नहीं हैं। वहीं, जब इसे उड़ाते हैं तो इसमें हल्का से कंपन होता है।
पतंग कटने के बाद होता है हादसा, फंसता है गर्दन में
जानकारी के अनुसार,सड़कों के आसपास बसी कॉलोनियों और बस्तियों में बच्चे दिनभर पतंग उड़ाते रहते हैं। पतंग कटने के बाद मांझा नीचे गिरता है और सड़क से गुजर रहे दो पहिया वाहन चालक इसकी चपेट में आ जाते हैं। तेज धार वाला मांझा जब वाहन चालक के गर्दन और चेहरे से गुजरता है, तो बुरी तरह से जख्मी कर देता है। पीड़ितों ने बताया कि सबसे ज्यादा मांझा गर्दन में फंसता है। पतंग कटने के बाद धागे को जोर से खींचते हैं। इसके कारण कई बार वाहन चालक इसकी चपेट में आकर घायल हो जाते हैं।
पेंच लड़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं पतंगबाज
पतंगबाज पेंच लड़ाने में धागे की मजबूती के लिए चाइनीज मांझे का उपयोग करते हैं। प्रदेशभर में इसकी बिक्री और उपयोग पर रोक है। यह देसी मांझे से ज्यादा तेज होता है और यह आसानी से दिखाई नहीं देता है।
राजधानी में अगर प्रतिबंधित चाइनीज मांझा बिक रहा है और उसकी वजह से घटनाएं हो रही हैं तो मामले की जांच कराएंगे। जो लोग चाइनीज मांझा बेच रहे हैं, उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई कराई जाएगी। – कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर