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ज्ञानवापी के तहखाने में मिला पूजा का अधिकार, 7 दिन में पूजा का इंतजाम करेंगे; मुस्लिम पक्ष बोला- फैसले को देंगे चुनौती

वाराणसी। उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिला कोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर के दक्षिण की ओर स्थित तहखाने के अंदर हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया है। ये तहखाना मस्जिद के नीचे है। कोर्ट ने कहा कि 7 दिन के अंदर पुजारी नियुक्त करेंगे, जिसके बाद व्यास परिवार पूजा-पाठ शुरू कर सकता है। मुस्लिम पक्ष इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।

फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा मुस्लिम पक्ष

मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली ने ज्ञानवापी के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि हम कोर्ट के इस फैसले से बेहद निराश हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन ने कहा कि फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। यह फैसला न्यायसंगत नहीं है।

कोर्ट ने 7 दिन के अंदर व्यवस्था कराने का दिया आदेश

जिला जज अजय कृष्ण विश्वेशा की अदालत ने शैलेन्द्र कुमार पाठक बनाम अंजुमन इंतजामिया कमेटी व अन्य के मामले में सुनवाई के बाद आदेश में कहा, ‘‘जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी और रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वे निपटान भूखंड संख्या 9130 की इमारत के दक्षिण की ओर बेसमेंट में स्थित मूर्तियों की पूजा, राग-भोग निर्दिष्ट पुजारी से कराये जो कि वाद संपत्ति है और इसके लिए 7 दिनों के भीतर लोहे की बाड़ आदि की उचित व्यवस्था करें।

1993 तक किया जाता था पूजा-पाठ

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि 2023 में शैलेन्द्र कुमार पाठक ने अर्जी दाखिल की थी कि मंदिर के दक्षिण तरफ के तहखाने में स्थित मूर्ति की पूजा की जा रही थी, लेकिन दिसंबर 1993 के बाद पुजारी व्यास को बैरिकेडिंग एरिया में प्रवेश करने से रोक दिया गया, जिसके कारण उक्त परिसर का राग-भोग का अनुष्ठान भी बंद हो गया। आवेदक ने कहा कि इस बात के पर्याप्त आधार हैं कि पुजारी व्यासजी ब्रिटिश शासन के दौरान भी वंशानुगत आधार पर उक्त स्थान पर काबिज थे और दिसंबर 1993 तक उक्त भवन में पूजा करते थे। दलील दी गई कि तहखाने में मौजूद मूर्तियों की नियमित रूप से पूजा करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बिना किसी कानूनी अधिकार के दिसंबर 1993 से बेसमेंट के अंदर पूजा बंद करा दी है।

कोर्ट ने कहा- सभी तथ्यों को ध्यान में रखा

प्रतिवादी द्वारा आवेदन का विरोध किया गया था और दावा किया गया था कि व्यास परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी उक्त तहखाने में पूजा नहीं की थी, इसलिए दिसंबर 1993 में रोकने का कोई सवाल ही नहीं था। यह कहा गया था कि उक्त तहखाने में कोई मूर्ति भी नहीं थी।

अदालत ने कहा कि सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह उचित प्रतीत होता है कि रिसीवर और जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी को दक्षिण की ओर तहखाने में मूर्तियों की पूजा और राग-भोग की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वादी द्वारा नामित पुजारी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा भवन का निर्माण जिसके लिए लोहे की बाड़ की उचित व्यवस्था 7 दिनों के भीतर की जानी चाहिए।

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