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छापे से चर्चा में आए सेंट्रल पार्क में मंत्री, विधायकों और अफसरों का निवेश

नियमों को ठेंगा : रसूखदारों द्वारा एफएआर से ज्यादा पर तानीं जा रही हैं इमारतें

संतोष चौधरी-भोपाल। आयकर की जद में फंसे क्रशर कॉन्ट्रैक्टर राजेश शर्मा सहित 5 लोगों के सेवनिया गौड़ स्थित ड्रीम प्रोजेक्ट ‘सेंट्रल पार्क’ में कई रसूखदारों ने निवेश कर रखा है। बड़े तालाब से सटे इस प्रोजेक्ट में एक दर्जन से ज्यादा मौजूदा और पूर्व मंत्रियों, विधायक, आईएएस-आईपीएस अफसरों ने 10 हजार वर्ग फीट से अधिक के फार्म हाउस औने-पौने दामों में खरीदे हैं। 3 मंत्रियों ने स्वयं-बेटों के नाम से दो-दो भूखंड का नामांतरण तक कर लिया है। वहीं, कई आईएएस अफसरों ने जमीन खरीदकर रजिस्ट्री कराई है, लेकिन नामांतरण नहीं कराया। इससे उनके नाम सरकारी दस्तावेज में फिलहाल नहीं है।

कई अफसरों ने रिश्तेदारों या किसी अन्य के नाम से यहां निवेश किया है। इसी प्रोजेक्ट के कारण राजेश शर्मा व संबंधित लोग आयकर विभाग के रडार पर आए। इसका खुलासा छापों में मिली रजिस्ट्री- दस्तावेजों की शुरुआती पड़ताल में हुआ है। इसके अलावा ऐसे कई रिकॉर्ड सरकारी पोर्टल पर भी दर्ज हैं। आयकर विभाग के सूत्र बताते हैं कि कार्रवाई खत्म होने के बाद विस्तृत जांच होगी।

विवादों में रहा प्रोजेक्ट

पी गोकुलदास बाम्बे सहित तीन अन्य लोगों से 31.77 एकड़ कृषि भूमि वीरेंद्र पाल सिंह, बलविंदर पाल सिंह, कुनाल बिल्डर्स एंड डेवलपर्स (कुनाल अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल) और राजेश शर्मा (त्रिशूल बिल्डर्स ने) 9 करोड़ रु. में 2020 में खरीदी थी। तब पेमेंट को लेकर इनमें विवाद हुआ था। बाद में इन लोगों ने सेंट्रल पार्क इन्फ्रा फर्म बनाकर प्रोजेक्ट शुरू किया। टीएंडसीपी, भवन अनुज्ञा, रेरा की अनुमति में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई थीं। इसमें 79 भूखंड और फार्म हाउस हैं, कई लोगों ने रजिस्ट्री करा ली है।

लगता रहा है नियमों को तोड़ने का आरोप

  1. एफएआर से ज्यादा निर्माण : यह कृषि योग्य भूमि है। इसका लैंडयूज लो डेंटिसी एरिया किया गया। यहां का एफएआर 0.06 है। यहां 11 हजार वर्ग फीट में 600 वर्ग फीट पर ही निर्माण किया जा सकता है, लेकिन पांच हजार से ज्यादा वर्ग फीट में निर्माण हो रहे हैं।
  2. रामसर साइट का उल्लंघन: भोज वेटलैंड का 16 मार्च 2022 का नियम था कि रामसर साइट से 250 मीटर दूरी तक निर्माण कार्य नहीं होंगे। लेकिन यह प्रोजेक्ट बडे तालाब से सटा है। हालांकि टीएंडसीपी ने यह दूरी 50 मीटर की दूरी की शर्त जोड़कर अनुमति जारी की है।
  3. इको सेंसटिव जोन: सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि वन विहार से एक किमी के दायरे में निर्माण नहीं हो सकता है। बावजूद रसूखदारों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता बताकर अनुमति करा ली। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ईको सेंसटिव जोन पर संशोधित आदेश जारी किया था।

इन मौजूदा और पूर्व मंत्री- अफसरों ने किया निवेश

  • बुंदेलखंड के एक पूर्व मंत्री ने स्वयं के नाम पर दो फार्म हाउस ले रखे हैं। इसमें उनके बुंदेलखंड स्थित निवास का पता दिया गया है।
  • मालवा से जुडे एक मौजूदा मंत्री ने अपने दोनों बेटों के नाम पर दो फार्म हाउस खरीदे हैं। इसमें एड्रेस मंत्री के भोपाल स्थित सरकारी बंगले का है।
  • भोपाल से सटे एक जिले के विधायक का यहां फार्म हाउस है। उन्होंने अपने क्षेत्र के घर का एड्रेस दिया है।
  • भोपाल से जुड़े एक पूर्व मंत्री ने अपनी बेटी के नाम पर फार्म हाउस ले रखा है।
  • एक रिटायर्ड आईएएस ने अपनी पत्नी के नाम पर भूखंड ले रखा है। ये अफसर एक मौजूदा मंत्री के करीबी रिश्तेदार हैं।
  • ग्वालियर संभाग के एक मंत्री ने भूखंड लिया है, लेकिन उन्होंने नामांतरण नहीं कराया है। (स्रोत: भूलेख मप्र शासन के पोर्टल के मुताबिक)

सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट में कई गड़बड़ियां कर अनुमति ली गई है। भवन अनुज्ञा, टीएंडसीपी और रेरा ने नियमों से हटकर अनुमति दी है। यहां रामसर साइट है, लेकिन निर्माण कार्य हो रहे हैं। – राशिद नूर खान, एनजीटी याचिकाकर्ता

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