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निशा बांगरे ने की राजनीति से तौबा, वापस मांगी नौकरी, चुनाव लड़ने के लिए दिया था डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा, विधानसभा और लोकसभा टिकट न मिलने पर हुईं हताश

भोपाल। एमपी में विधानसभा चुनाव से पहले चर्चाओं में रहने वाली पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का राजनीति से मोहभंग हो गया है। उन्होंने राजनीति से तौबा करते हुए सरकार से अपनी नौकरी वापस मांगी है। ठीक लोकसभा लोकसभा चुनाव के समय उनका इस्तीफा वापस लेने का आवेदन सुर्खियों में आ गया है।

नौकरी छोड़ राजनीति में उतरने का दावा करने वाली निशा बांगरे को उम्मीद थी कि उन्हें कांग्रेस से विधानसभा या लोकसभा का प्रत्याशी बनाया जाएगा, लेकिन ये अरमान पूरे होते न देख अब उन्होंने यू-टर्न लेने का मन बना लिया है। निशा ने अपना इस्तीफा वापस लेने और नौकरी वापस पाने के लिए इसी साल 18 जनवरी को एक पत्र राज्य शासन को लिखा था, जो अब मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। हालांकि, अभी तक सरकार ने इस पत्र पर कोई फैसला नहीं लिया है। नियम के अनुसार राज्य प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ने की तिथि के तीन माह के अंदर ही नौकरी वापस पाने के लिए आवेदन देना पड़ता है।

सरकारी नौकरी में वापस आने के लिए दिया आवेदन।

यह है पूरा मामला

पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव से पहले वे सुर्खियों में आईं थीं। उन्होंने तत्कालीन बीजेपी की सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए थे और अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि उनके इस्तीफे को लेकर कश्मकश जारी रही और आखिरकार निशा का इस्तीफा प्रदेश सरकार ने 23 अक्टूबर को मंजूर कर लिया था। जिस समय निशा बांगड़े ने त्यागपत्र दिया था उस समय वे छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर के तौर पर पदस्थ थीं।

पहले विधानसभा और अब लोकसभा के लिए मांग रही थीं टिकट

जिस समय उनका मामला सुर्खियों में था उस समय एससी वर्ग से आने वाली निशा बांगरे बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी बनने की रेस में सबसे आगे थीं। हालांकि उनका इस्तीफा मंजूर होने में हुई देरी के कारण कांग्रेस पार्टी ने वहां से दूसरे उम्मीदवार को टिकट दे दिया। वे कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस में इसी वजह से शामिल हुईं थी कि उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी मिलेगी। वे फिलहाल एससी वर्ग के लिए रिजर्व प्रदेश की किसी भी सीट से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में टिकट के लिए प्रयास कर रही थीं, लेकिन इस बार भी पार्टी ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी। ऐसे में अब उनका राजनीति से मोहभंग हो गया है।

जनहित और राष्ट्रहित की खातिर वापस मांग रहीं नौकरी

निशा ने फिर से नौकरी में वापसी की इच्छा जताते हुए अपने पत्र में कारण भी बताया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन परिस्थिति ऐसी बनी कि वे चुनाव लड़ ही नहीं सकीं। ऐसे में अब वे राष्ट्रहित और जनसेवा के लिए नौकरी वापस पाना चाहती हैं। हालांकि यह भी सामने आया है कि निशा कांग्रेस से जमकर खफा हैं और विधानसभा के बाद लोकसभा में भी टिकट न मिलने के बाद से अपने गृह नगर आमला में रह रही हैं। हालांकि पार्टी ने उन्हें हाल ही में घोषित प्रवक्ताओं की लिस्ट में शामिल किया है, लेकिन वे फिलहाल राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। हालांकि जब उनसे इस्तीफा वापस लेने और कांग्रेस को छोड़ने का सवाल किया गया तो उन्होंने दावा किया कि वे चार दिन बाद एक बड़ा निर्णय लेंगी।

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