दिल्ली की सरहदों पर करीब 1 साल से जारी किसान आंदोलन जल्द ही खत्म हो सकता है। दरअसल, सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गई है। जिसके बाद किसान संगठनों की तरफ से आंदोलन खत्म कर दिया गया। हालांकि, इसका औपचारिक एलान अभी बाकी है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने किसानों को औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान न सिर्फ जश्न मना रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने तंबू उखाड़ने और सामान की पैकिंग भी शुरू कर दी है।
11 को होगी वापसी
वहीं इससे पहले पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने बैठक कर कहा है कि 11 तारीख को उनकी आंदोलन से वापसी हो जाएगी। 15 तक सभी टोल से धरना हटा लिया जाएगा। हालांकि अभी संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक नहीं हुई है। देर शाम तक मोर्चा की बैठक में फैसला लिया जाएगा।
Protesting farmers will vacate the protest sites on December 11: Farmer leader Darshan Pal Singh pic.twitter.com/Ftg76o7Rd1
— ANI (@ANI) December 9, 2021
आधिकारिक पत्र मिला
इससे पहले, किसान नेता अशोक धावले ने कहा था कि सरकार की तरफ से एक आधिकारिक पत्र मिला है। इस पत्र को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में रखा जाएगा। इससे पहले सरकार ने सादे कागज पर किसानों को प्रस्ताव भेजा था।
सरकार ने मानी मांगे
जानकारी के मुताबिक, सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है। साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा। इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का एलान कर चुकी हैं।
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क्या है नया प्रस्ताव?
- MSP कमेटी में केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे। कमेटी 3 महीने के भीतर रिपोर्ट देगी। जो किसानों को
- MSP किस तरह मिले, यह सुनिश्चित करेगी। वर्तमान में जो राज्य जिस फसल पर MSP पर जितनी खरीद कर रही है, वह जारी रहेगी।
- केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे। राज्यों को केंद्र सरकार भी अपील करेगी।
- हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पंजाब की तरह मुआवजा देने पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
- सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे। UP, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी है।
- पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार के कानून की धारा 15 में जुर्माने के प्रावधान से किसान मुक्त होंगे।
- बिजली बिल पर किसानों पर असर डालने वाले प्रावधानों पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।