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हिंदी भवन में ‘अट्टहास सम्मान’ की घोषणा : अनुज खरे, पंकज प्रसून युवा सम्मान से नवाजे गए

राजधानी दिल्ली में रविवार को अट्टहास सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें देश के दिग्गज व्यंग्यकारों को वर्ष 2019 और 2020 के ‘अट्टहास सम्मान’ से नवाजा गया। ऑडिटोरियम में पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा और प्रेम जनमेजय को अट्टहास शिखर सम्मान से, वहीं अनुज खरे और पंकज प्रसून को अट्टहास युवा सम्मान नवाजे गए।

40 वर्षों से दिया जा रहा अट्टहास सम्मान

पिछले 40 वर्षों से दिया जा रहा अट्टहास सम्मान व्यंग्य के क्षेत्र का एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। पूर्व में ये ख्यात लेखकर मनोहर श्याम जोशी, शरद जोशी, हुल्लड़ मुरादाबादी, अशोक चक्रधर, सुरेंद्र शर्मा सहित तमाम व्यंग्यकारों को दिया जा चुका है।

‘जब तक मानव सभ्यता रहेगी, तब तक रंगमंच रहेगा’

अट्टहास शिखर सम्मान 2019 से सम्मानित वरिष्ठ नाटककार पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा ने कहा कि कहा जाता है कि फिल्म दूरदर्शन टीवी सीरियल के युग में नाटक विधा अप्रासंगिक हो गई है, ये सत्य नहीं है। फिल्म में मनुष्य अपने कद से बहुत बड़ा दिखाई देता है लेकिन टीवी में वे अपने कद से बहुत छोटा दिखाई देता है। केवल थिएटर में वे अपने कद में दिखाई देता है। जब तक मानव सभ्यता रहेगी तब तक रंगमंच जीवंत रहेगा।

‘व्यंग्य का पथ बहुत दुर्गम’

अट्टहास शिखर सम्मान 2020 से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि व्यंग्य का पथ बहुत दुर्गम है। इस पर चलना बहुत कठिन है। जितना चलना कठिन है, उससे ज्यादा व्यंग्यकारों को सम्मानित करना कठिन है। लेकिन सम्मान उत्प्रेरक होने चाहिए लक्ष्य नहीं। व्यंग्य लेखन के साथ-साथ उस पर विमर्श बहुत आवश्यक है।

प्रेम जनमेजय, अनुज खरे, डीपी सिन्हा, पंकज प्रसून

‘कुर्सी का पानी से गहरा नाता’

अट्टहास युवा सम्मान 2019 से सम्मानित लखनऊ के व्यंग्यकार पंकज प्रसून ने कहा कि व्यंग्य हमेशा सत्ता के विरुद्ध ही लिखा जाता है। चाहे वे राजनीतिक सत्ता हो, चाहे पारिवारिक या फिर सामाजिक। उन्होंने कटाक्ष करते हुए सुनाया- कुर्सी का पानी से गहरा नाता है। कुर्सी छिनते ही आंखों में पानी भर जाता है और कुर्सी मिलते ही आंखों का पानी मर जाता है।

‘लेखक-श्रोता अनुपात चिंतनीय’

अट्टहास युवा सम्मान 2020 से सम्मानित भोपाल के व्यंग्यकार अनुज खरे ने कहा कि देश में व्यंग्य की क्वालिटी को लेकर काफी चिंता है। इस समय प्रति एकड़ में 200 से ऊपर व्यंग्यकार पाए जा रहे हैं। लेखक ज्यादा हैं, श्रोता कम है। ये लेखक और श्रोता का अनुपात भारी चिंता का विषय है।

इन रचनाकारों का भी सम्मान

  • डॉ. कीर्ति काले को हरिशंकर परसाई पुरस्कार
  • इलाहाबाद के राजेश श्रीवास्तव को महा कवि बिहारी सम्मान
  • आभा सिंह को शरद जोशी सम्मान
  • भारती पाठक को रामचंद्र शुक्ल सम्मान
  • लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान लखनऊ के वरिष्ठ लेखक आलोक शुक्ला, प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक दीपक श्रीवास्तव, सुभारती विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्तुति कक्कड़, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल मित्र, डॉ. एस के शुक्ला, डॉ. मधु आचार्य आशावादी और रजनीकांत वशिष्ठ को दिया गया।

‘ये स्थिति व्यंग्य जगत के लिए सुखद नहीं’

वरिष्ठ व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने अखबारों में बंद होते व्यंग्य के स्तम्भों पर चिंता जताते हुए कहा कि ये स्थिति व्यंग्य जगत के लिए सुखद नहीं है। व्यंग्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाहिए।

‘कबीर पहले व्यंग्य कवि’

माध्यम, एनसीआर एवं दिल्ली के अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय के कहा व्यंग्य लेखन साहित्य का एक अपरिहार्य अस्त्र है। जो हमारी संवेदना को व्याप्त विसंगतियों के विरुद्ध उत्तेजित कर चेतना का भाव जगाता है। व्यंग्य कटु हो सकता है किंतु अहितकर नहीं। ये सुधारात्मक कार्य है। विश्व ने अनेक हास्य और व्यंग्यकारों को पैदा किया है। हर भाषा में व्यंग्य लिखा गया है। संत कबीर हिंदी के प्रथम व्यंग्य कवि हुई। उनके दोहे समाज की विसंगतियों पर प्रहार करते है और आज भी प्रासंगिक हैं।

क्या है अट्टहास सम्मान ?

साहित्यिक संस्था ‘माध्यम’ द्वारा वर्ष 1990 में अट्टहास सम्मान को दिए जाने की शुरुआत की गई थी। उस साल मनोहर श्याम जोशी तथा जाने-माने व्यंग्यकार शरद जोशी को इस सम्मान से नवाजा गया था। उसके बाद से ये सम्मान साहित्य जगत में प्रतिष्ठा का दूसरा नाम बन गया।

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