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चुनाव से पहले थामा ‘हाथ’, टिकट भी मिला पर नहीं कर सके करिश्मा

भाजपा से आए नेताओं का नहीं मिल सका कांग्रेस को फायदा

नरेश भगोरिया-भोपाल। विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले से भाजपा और अन्य दलों के करीब सौ छोटे-बड़े नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा, लेकिन इन नेताओं का विशेष फायदा पार्टी को नहीं मिल सका। बड़े नाम और पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस ने इन नेताओं को टिकट भी दिए लेकिन इनमें से कुछ को छोड़कर अन्य कांग्रेस के लिए कोई कमाल नहीं दिखा सके। उधर, दूसरी पार्टियों से कांग्रेस में आने वालों को तवज्जो दिए जाने से कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज भी रहे। हार के बाद कुछ नेताओं ने टिकट वितरण पर भी सवाल उठाए। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी ने मई में कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद अक्टूबर तक कई भाजपा नेता कांग्रेस में शामिल होते रहे। कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद थी कि एक बड़ा वर्ग इन नेताओं के साथ है। इसके अलावा वे जातिगत समीकरण भी बिठा सकते हैं। लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस का टिकट पाने वाले नेता कोई करिश्मा नहीं कर सके।

दल बदलने वाले नेताओं का ऐसा रहा हाल

दीपक जोशी : भाजपा का बड़ा नाम और ब्राह्मण चेहरा। इन्हें खातेगांव सीट से प्रत्याशी बनाया गया लेकिन यहां भाजपा के आशीष शर्मा ने 12,542 ये ज्यादा मतों से हराया।

समंदर पटेल : नीमच जिले के समंदर पटेल सैकड़ों वाहनों के साथ भोपाल में कांग्रेस जॉइन करने आए तो लगा कि बड़ा बदलाव लाएंगे। कांग्रेस ने उन्हें जावद सीट से प्रत्याशी बनाया भी, लेकिन वे भाजपा के ओमप्रकाश सखलेचा से 2,364 मतों से पराजित हुए।

चौधरी राकेश सिंह : भाजपा छोड़ घर वापसी करने वाले चौधरी राकेश सिंह भिंड में भाजपा के नरेंद्र सिंह कुशवाह से 14,146 वोटों से हार गए।

गिरिजा शंकर शर्मा : होशंगाबाद से भाजपा विधायक रहे पं. गिरिजा शंकर शर्मा ने कांग्रेस का हाथ थामा था। वे भी चुनाव हार गए। गिरिजाशंकर, डॉ. शर्मा से 39,522 वोटों से पीछे रहे।

राव यादवेंद्र यादव : अशोकनगर के मुंगावली में भाजपा नेता राव यादवेंद्र यादव कांग्रेस में शामिल हुए तो उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्र यादव ने उन्हें 5,422 वोटो से हराया।

बोध सिंह भगत : भाजपा के पूर्व सांसद और विधायक रहे बोध सिंह भगत कांग्रेस में आए तो उन्हें बालाघाट की कटंगी सीट से प्रत्याशी बनाया गया । भगत को भाजपा के युवा प्रत्याशी गौरव सिंह पारधी 21,931 वोटों के अंतर से हराया।

बैजनाथ सिंह यादव : शिवपुरी जिले में भाजपा छोड़, कांग्रेस में आए बैजनाथ यादव कोलारस से प्रत्याशी बने। भाजपा के महेंद्र यादव ने उन्हें 50,973 वोटों के बड़े अंतर से हराया। उल्लेखनीय है कि कोलारस भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया था लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। रघुवंशी के समर्थकों के विरोध पर पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ का कपड़े फाड़ने वाला बयान आया था।

कांग्रेस में शामिल होने वाले ये नेता भी हार गए चुनाव

नीरज शर्मा सुरखी, अमित राय निवाड़ी, रामकिशोर शुक्ला महू, चरण सिंह यादव बिजावर, जीवनलाल सिद्धार्थ गुन्नौर, गुढ़ कपिध्वज सिंह।

इन प्रत्याशियों ने दिलाई कांग्रेस को जीत

  • भंवर सिंह शेखावत : भाजपा से कांग्रेस में आए बदनावर से भंवर सिंह शेखावत ने मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव को 2,976 वोटों से पराजित किया।
  • अनुभा मुंजारे : समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में आईं अनुभा मुंजारे ने बालाघाट में मंत्री गौरीशंकर बिसेन को 29195 वोटों से पराजित किया।
  • अभय मिश्रा : चुनाव के कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए अभय मिश्रा ने रीवा जिले की सेमरिया सीट पर भाजपा के केपी त्रिपाठी को 637 वोटों से हराया।

भाजपा में गए सिद्धार्थ जीते

चुनाव से पहले कांग्रेस में भी बगावत का दौर रहा। कई नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ भाजपा में का दामन थाम लिया। विंध्य के सिद्धार्थ तिवारी को भाजपा में शमिल होने पर त्योंथर से टिकट मिला और वे 4,746 वोटों से चुनाव जीत गए।

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