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Cyclone Fengal : आज पुडुचेरी और तमिलनाडु से टकराएगा तूफान फेंगल, 90kmph की रफ्तार से चलेंगी हवाएं; स्कूल-कॉलेज बंद

चेन्नई। बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने चक्रवाती तूफान ‘फेंगल’ को लेकर तमिलनाडु के कई हिस्सों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। फेंगल तूफान शनिवार शाम (30 नवंबर, 2024) तक पुडुचेरी के कराईकल और तमिलनाडु के महाबलीपुरम जिले के बीच समुद्र तट से टकराएगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, इस दौरान 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है। इसके प्रभाव से तटीय इलाकों में तेज बारिश का अनुमान है। तूफान के चलते शनिवार को सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे। इसके साथ ही लोगों को भी घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।

सबसे अधिक चक्रवात और तूफान बंगाल की खाड़ी से क्यों उठते हैं

चक्रवात और तूफान को लेकर पिछले 120 सालों का रिकॉर्ड देखें तो 14 फीसदी चक्रवाती तूफान और 23 फीसदी भयंकर चक्रवात अरब सागर में आए हैं। वहीं, बंगाल की खाड़ी की बात करें तो यहां 86 प्रतिशत चक्रवाती तूफान और 77 प्रतिशत भयंकर चक्रवाती तूफान आए हैं।

बंगाल की खाड़ी में उठने वाले अधिक चक्रवात और तूफान की बता करें तो, अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक तूफान उठने का सबसे बड़ा कारण हवा का रुख और तापमान है। बंगाल की खाड़ी पूर्वी तट पर मौजूद है, जहां तापमान पश्चिमी तट पर स्थित अरब सागर के मुकाबले गर्म रहता है। इसी वजह से बंगाल की खाड़ी हमेशा दबाव में रहती है। वहीं, अरब सागर का तापमान ठंडा रहता है। वीएस यादव ने बताया कि ठंडे सागर के मुकाबले गर्म सागर में तूफान अधिक आते हैं। इसमें अधिक तापमान का खास दखल होता है।

किसने रखा तूफान का नाम ‘फेंगल’

इस तूफान का नाम ‘फेंगल’ सऊदी अरब की तरफ से प्रस्तावित किया गया है। यह एक अरबी शब्द है, जो भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का मिश्रण है। यह शब्द वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के नामकरण पैनल में क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।

कैसे रखा जाता है चक्रवात का नाम

विश्व मौसम विज्ञान संस्थान में चक्रवातों का नाम और इसकी सूची रखी जाती है। इसमें अलग-अलग देश चक्रवात के नाम की लिस्ट भेजते हैं। नाम रखते समय यह ध्यान रखा जाता है कि चक्रवात का नाम किसी विशेष धर्म या किसी समुदाय से न जुड़ा हो। इसके साथ ही, तय किया गया नाम किसी व्यक्ति विशेष की भावना को आहत न करता हो। नाम रखने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी होती है कि चक्रवात की पहचान की जा सके। मान लीजिए, किसी क्षेत्र में पहले से ही तूफान की आमद हुई है, ऐसे में उस क्षेत्र में कोई दूसरा तूफान आता है तो उसकी पहचान करने में परेशानी पेश आएगी। इसीलिए नाम की विशेष महत्व होती है।

नाम को तय करने में एक और चीज का खास महत्व होता है। मान लीजिए, मौसम विभाग ने चक्रवात या तूफान को लेकर अलर्ट जारी किया और विश्व मौसम विज्ञान संस्थान की सूची के मुताबिक चक्रवात का नाम भी रख दिया (जो कि किसी देश ने भेजा होगा और हर देश की बारी अलग-अलग आती है) और चक्रवात या तूफान विकराल रूप न लेकर सिर्फ डीप डिप्रेशन की हद से गुजर जाता है, तब वह नाम अगले चक्रवात या तूफान के लिए रिजर्व कर दिया जाता है।

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